बीजिंग, 16 नवंबर चीन ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौते को सोमवार को ‘बड़े महत्व का मील का पत्थर’ का करार दिया। हालांकि विभिन्न अध्ययन बताते हैं कि यह समझौता चीन के लिये आर्थिक प्रभाव से अधिक रणनीतिक महत्व का है।
इस समझौते को विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता कहा जा रहा है। 10 आसियान देशों समेत एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 15 देशों ने रविवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किया। भारत इस समझौते में शामिल नहीं हुआ है। भारत कुछ शर्तों से सहमत नहीं होने के चलते पिछले साल अररसीईपी की बातचीत से बाहर हो गया था।
हालांकि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों ने एक घोषणा में कहा है कि भारत के लिये इस समझौते के साथ जड़ने का विकल्प हमेशा खुला है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत के बिना इस समझौते का खास महत्व नहीं है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने समझौते को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आठ साल की बातचीत के बाद आरसीईपी पर आधिकारिक रूप से समझौता हो गया। इसका मतलब है कि सबसे बड़ी आबादी और आर्थिक हिस्सेदारी को कवर करने वाला सबसे आशाजनक समझौता आधिकारिक तौर पर हो गया। यह बहुत महत्व का मील का पत्थर है।
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