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फिर हो सकती है कैश की किल्लत, अबकी बार खुले रुपए खड़ा करेंगे संकट 

By रामदीप मिश्रा | Updated: May 6, 2018 22:48 IST

बैंकरों ने बताया है कि 100 रुपये के ज्यादातर नोट बड़े आकार के कारण एटीएम में फिट होने में समस्या आती है।

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नई दिल्ली, 6 मईः नोटबंदी ने हर किसी के अंदर ऐसा डर पैदा कर दिया है कि जब भी कैश की किल्लत का नाम सामने आता है वैसे ही तमाम तरह के समस्याएं दिमाग में घूम जाती है। पिछले दिनों हुई कैश की किल्लत से देश उबर भी नहीं पाया था कि अब खबर मिल रही है कि 100 रुपए के नोटों पर संकट छाने वाला है। अगर ऐसा हुआ तो बाजार में खुले रुपयों के लिए मारा-मारी शुरू हो जाएगी।

खबरों के मुताबिक, बैंकरों ने बताया है कि 100 रुपये के ज्यादातर नोट बड़े आकार के कारण एटीएम में फिट होने में समस्या आती है। साथ ही साथ 2005 में छपी मुद्रा भी चलन में है, जोकि मटमैली हो गई है। इसे अब चला पाना मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में बैंकरों ने भारतीय रिजर्ब बैंक (आरबीआई) से समस्या को जल्द सुलझाने के लिए कहा है।

बताया गया है कि नोटबंदी से पहले 100 रुपये के 550 करोड़ नोट चलन में थे, जिन्हें बाद में बढ़ाकर 573.8 करोड़ कर दिया गया था। वहीं, बीते साल दो सालों में 100 रुपए के नोटों का डिस्पोजल करीब आधा हो गया है। 

इधर, देश में नकदी की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए 500 रुपये के नोटों की छपाई में तेजी लाई गई और प्रतिदिन 3,000 करोड़ रुपये कीमत के नोट छापे जा रहे हैं। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 500, 200 और 100 रुपये के नोट लेनदेन के लिये काफी सुविधाजनक साधन हैं। देश में नकदी की स्थिति "संतोषजनक" है और अतिरिक्त मांग को पूरा किया जा रहा है। 

आर्थिक मामलों के सचिव गर्ग ने कहा 2,000 रुपये के करीब 7 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में है, जोकि पर्याप्त मात्रा से अधिक और यही वजह है कि 2,000 रुपये के नए नोट जारी नहीं किये जा रहे हैं। 500, 200 और 100 रुपये के नोट आम लोगों के बीच लेनदेन का माध्यम हैं। लोग इनका अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें 2,000 रुपये का नोट अधिक सुविधाजनक नहीं लगता है। 500 रुपये का नोट पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति किया गया है। हमने इसका उत्पादन प्रतिदिन 2,500 से 3,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है। यह किसी भी मांग के मुकाबले काफी ज्यादा है। इससे लोगों की लेनदेन की मांग का ध्यान रखा जा रहा है।

टॅग्स :आरबीआई
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