Budget 2019: 5 साल में देश में आया 239 अरब डॉलर का विदेशी निवेश, GDP का 3.4 प्रतिशत राजकोषीय घाटा: पीयूष गोयल
By स्वाति सिंह | Published: February 1, 2019 12:26 PM2019-02-01T12:26:04+5:302019-02-01T12:27:24+5:30
गोयल ने कहा कि यदि मुद्रास्फीति को नियंत्रित नहीं किया जाता तो हमारे परिवारों को रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान पर 35 से 40 प्रतिशत अधिक खर्च करना पड़ता।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को बजट पेश करते हुए कहा चालू वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत रहेगा। लोकसभा में वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए गोयल ने कहा कि चालू खाते का घाटा (कैड) इस साल जीडीपी का करीब ढाई प्रतिशत रहेगा।
वहीं, पीएम किसान निधि से 1.2 खरब रुपये का खर्च आ सकता है। जिसके कारण राजकोषीय गणित में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। जाहिर है इसके चलते देनदारी बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल में देश में 239 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है।
गोयल ने कहा, ‘‘हमने एफडीआई नियमों को उदार किया और स्वतमंजूर मार्ग से अधिक निवेश की अनुमति दी है।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू कर व्यवस्था में एक बड़ा सुधार आगे बढ़ाया है।
गोयल ने कहा कि यदि मुद्रास्फीति को नियंत्रित नहीं किया जाता तो हमारे परिवारों को रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान पर 35 से 40 प्रतिशत अधिक खर्च करना पड़ता।
क्या होता है राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)
सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटा आमतौर पर राजस्व में कमी या पूंजीगत व्यय में अत्यधिक वृद्धि के कारण होता है। राजकोषीय घाटे की भरपाई आमतौर पर केंदीय बैंक (रिजर्व बैंक) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिए छोटी और लंबी अवधि के बॉन्ड के जरिए पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है।
राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। वित्त मंत्रालय प्रत्येक वर्ष बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य तय करता है। आम बजट 2018-19 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.3 प्रतिशत रखा गया है। राजकोषीय घाटा अधिक होने से महंगाई बढ़ने का खतरा होता है।