नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2016-17 में बिहार की विकास दर रही देश में सबसे तेज
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 27, 2018 09:39 AM2018-02-27T09:39:48+5:302018-02-27T10:08:37+5:30
बिहार सरकार का बजट सत्र सोमवार (26 फरवरी) को शुरू हुआ जिसमें आर्थिक विकास दर को पेश किया गया है।
नई दिल्ली, 27 फरवरी: बिहार सरकार का बजट सत्र सोमवार (26 फरवरी) को शुरू हुआ जिसमें आर्थिक विकास दर को पेश किया गया है। ऐसे में राज्य के विकास दर ने एक लंबी छलांग लगाई है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य की आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी रही। लेकिन अब इस दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2016-17 के वित्तीय वर्ष के वृद्धि दर को देखें तो ये बढ़कर अब 10.3 फीसदी हो गई है।
जिसके साथ ही देश की भी विकास दर में 7 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, केवल राज्य की बात करें तो यहां तीन फीसदी की वृद्धि हुई है। 2004-05 से 2014-15 के बीच स्थिर मूल्य पर बिहार की आय 10.1 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ी है। सड़क, कृषि, ऊर्जा, डेयरी, सब्जी उत्पादन की बात की जाए तो इसमें ही ये बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है। इस आर्थिक सर्वेक्षण को खुद उपमुख्यमंत्री व सह वित्तमंत्री सुशीलकुमार मोदी ने पेश किया है। ये सर्वेक्षण दो भागों में पेश किया गया है। पहले विकास दर में पब्लिक सेक्टर में पूंजी निवेश और दूसरा, अर्थव्यवस्था से जुड़े मानकों को जांचने वाले कई महत्वपूर्ण बिंदुओं में सुधार होने के साथ-साथ एग्रीकल्चर सेक्टर में मूलभूत का सुधार है। जबकि राजनीतिक स्थिरता के कारण भी राज्य का आर्थिक स्तर यहां खासा मजबूत हुआ है।
ये विकास वृद्धि दर बिहार की अब तक की सबसे मजबूत दर बताई जा रही है। प्रति व्यक्ति आय को देखते हुए ये आर्थिक सर्वेक्षण देखने को मिला है। देश की औसत के मुकाबले राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2015-16 के दौरान 31.6% थी, जो 2016-17 में बढ़कर 32.4% अब हो गई है। जिसनें करीब 1 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2011-12 की बात करें तो राज्य में प्रति व्यक्ति की आय 29,178 रुपये थी, जो अब 2016-17 में बढ़कर 38, 546 रुपये हो गई है। वहीं, राज्य सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) 2011-12 की बात करें तो इसमें तीन लाख 32 हजार करोड़ था, जो 2016-17 के दौरान बढ़ कर चार लाख 38 हजार करोड़ अब दर्ज किया गया है।