बैंकों का एनपीए फिलहाल प्रबंधन के दायरे में, आईबीसी में सुधार की गुजाइश: दास

By भाषा | Updated: September 9, 2021 23:19 IST2021-09-09T23:19:00+5:302021-09-09T23:19:00+5:30

Banks' NPAs currently under management, scope for improvement in IBC: Das | बैंकों का एनपीए फिलहाल प्रबंधन के दायरे में, आईबीसी में सुधार की गुजाइश: दास

बैंकों का एनपीए फिलहाल प्रबंधन के दायरे में, आईबीसी में सुधार की गुजाइश: दास

मुंबई, नौ सितंबर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि बैंकों की दबाव वाली संपत्तियों की स्थिति ‘अब प्रबंधन के दायरे’ में दिख रही है। उन्होंने कहा कि महामारी की दूसरी लहर के बावजूद सकल गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की स्थिति स्थिर रही है।

दास ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बैंकिंग प्रणाली का सकल एनपीए (जीएनपीए) 7.5 प्रतिशत पर है। वहीं गैर-बैंक ऋणदाताओं के मामले में यह और कम है।

मार्च तक बैंकिंग तंत्र का जीएनपीए 7.48 प्रतिशत पर था। यह किस्तों के भुगतान पर रोक की अवधि के बाद बैंकों के लिए पहली तिमाही थी।

दास ने कहा कि अभी तक हमारे पास जो आंकड़े हैं उसके हिसाब से एनपीए का स्तर प्रबंधन के दायरे में है। आखिरी आंकड़ा जून के अंत में आया है। बैंकिंग क्षेत्र के लिए एनपीए 7.5 प्रतिशत है जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए यह और कम है।

उन्होंने कहा कि बैंकों का पूंजी बफर 16 प्रतिशत से अधिक है। वहीं एनबीएफसी के लिए यह 25 प्रतिशत है। यह नियामकीय जरूरत से कहीं अधिक है। इससे दबाव से निपटने में मदद मिलेगी।

इस बीच, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान में ऋणदाताओं को हो रहे ऊंचे नुकसान पर गवर्नर ने कहा कि आईबीसी प्रक्रिया में कुछ सुधार की गुंजाइश है। इसमें कुछ विधायी बदलाव भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से सहमत हूं कि आईबीसी के कामकाज में सुधार की गुंजाइश है। संभवत: कुछ विधायी संशोधनों की जरूरत है।

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Web Title: Banks' NPAs currently under management, scope for improvement in IBC: Das

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