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सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में एपीवाई का दबदबा, कुल एनपीएस अंशधारकों में 66 प्रतिशत हिस्सा

By भाषा | Published: September 05, 2021 3:25 PM

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राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत अटल पेंशन योजना (एपीवाई) सबसे लोकप्रिय सामाजिक सुरक्षा योजना के रूप में उभरकर सामने आई है। एपीवाई के कुल अंशधारकों की संख्या 2.8 करोड़ है। इसमें एक बड़ा हिस्सा गैर-महानगर केंद्रों का है। एनपीएस के तहत 4.2 करोड़ अंशधारकों में से 2020-21 के अंत तक 66 प्रतिशत से ज्यादा यानी 2.8 करोड़ ने एपीवाई का विकल्प चुना था। एनपीएस न्यास की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। राज्य सरकार की योजना 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर रही। वहीं केंद्रीय स्वायत्त निकाय (सीएबी) का एनपीएस अंशधारकों में हिस्सा सबसे कम एक प्रतिशत रहा। राज्य स्वायत्त निकायों (एसएबी) का हिस्सा इसमें दो प्रतिशत रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-महानगर अंशधारकों में एपीवाई सबसे लोकप्रिय योजना है। यह देश में जनसांख्यिकीय रुझानों को भी दर्शाता है। रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कुल प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) सालाना आधार पर 38 प्रतिशत बढ़कर साल के अंत तक 5.78 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। वित्त वर्ष 2020-21 के अंत तक एनपीएस के अंशधारकों की संख्या 4.2 करोड़ थी। एनपीएस परिभाषित योगदान सेवानिवृत्ति बचत योजना है। इसका प्रशासन और नियमन पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) करता है। अंशधारकों की संख्या में वृद्धि के मामले में भी अटल पेंशन योजना सबसे आगे रही। मार्च, 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में एपीवाई के अंशधारकों की संख्या सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़ी। इसके बाद ऑल-सिटिजन मॉडल (32 प्रतिशत) का स्थान रहा। भारत सरकार ने अटल पेंशन योजना मई, 2015 में शुरू की थी। 18 से 40 वर्ष की आयु के सभी नागरिक इस योजना का हिस्सा बन सकते हैं। योजना के तहत एक अंशधारक को 60 साल की आयु पूरी होने के बाद उनके योगदान के आधार पर 1,000 से 5,000 रुपये मासिक पेंशन की गारंटी दी जाती है। अंशधारक की मृत्यु पर यही पेंशन राशि उसके जीवनसाथी को दी जाती है। एनपीएस के अंशधारकों में 3.77 करोड़ या 89 प्रतिशत गैर-महानगरों के हैं। वित्त वर्ष 2020-21 में गैर-महानगर अंशधारकों की संख्या सालाना आधार पर 72.34 लाख बढ़ी। वहीं महानगरों के अंशधारकों की संख्या 16 प्रतिशत या 4.87 लाख की वृद्धि के साथ 35.78 लाख पर पहुंच गई।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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