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अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट

By भाषा | Updated: May 31, 2021 22:05 IST

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नयी दिल्ली, 31 मई देश की अर्थव्यवस्था में मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी। हालांकि यह गिरावट पूर्व में जताये गये विभिन्न अनुमानों से कम है। इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले चौथी तिमाही में वृद्धि दर का कुछ बेहतर रहना है।

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 1.6 प्रतिशत रही। यह इससे पिछली तिमाही अक्टूबर-दिसंबर, 2020 में 0.5 प्रतिशत से अधिक है।

इससे पूर्व, वित्त वर्ष 2019-20 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

पिछले साल की महामारी से पहले से नरमी का सामना कर रही अर्थव्यवस्था में 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से खपत और आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था।

यह 1979-80 यानी चार दशक में पहली बार है जब किसी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है। इससे पहले 1979-80 में जीडीपी में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

जीडीपी वृद्धि दर 2016-17 में 8.3 प्रतिशत थी जो अगले वित्त वर्ष में घटकर 7 प्रतिशत और फिर 2018-19 में 6.1 प्रतिशत रही।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार देश का वास्तविक जीडीपी 2020-21 में घटकर 135 लाख करोड़ रुपये रहा जो मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष में 145 लाख करोड़ रुपये था।

अर्थव्यवस्था को 145 लाख करोड़ रुपये का स्तर प्राप्त करने के लिये 2021-22 में 10 से 11 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत होगी। लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। इसको देखते हुए कई विशेषज्ञों ने अनुमान जताया कि तुलनात्मक आधार कमजोर रहने के बावजूद जीडीपी वृद्धि दर दहाई अंक में नहीं पहुंचेगी।

हालांकि दैनिक आधार पर कोविड-19 मामलों की संख्या घटकर 1.5 लाख के करीब आ गयी जो एक समय 4 लाख से अधिक पहुंच गयी थी। लेकिन अर्थव्यवस्था में 55 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाली उपभोक्ता मांग में गिरावट और बेरोजगारी दर बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर 14.73 प्रतिशत पर पहुंचने से नई चुनौतियां सामने आयी हैं।

विश्लेषकों ने आगाह किया है कि टीकाकरण कार्यक्रम की धीमी गति से वृद्धि को जोखिम है।

जीडीपी आंकड़े के बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है लेकिन चालू वित्त वर्ष में दहाई अंक में वृद्धि दर हासिल करने का अनुमान जताना इस समय मुश्किल है।

इस साल जनवरी में जारी वित्त वर्ष 2020-21 की आर्थिक समीक्षा में जीडीपी वृद्धि दर मार्च 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में 11 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

उन्होंने टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे कोविड-19 की एक और लहर की आशंका को कम करने में मदद मिलेगी।

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च इन इंटरनेशनल एकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) के आलोक शील ने कहा कि 2020-21 के सकल घरेलू उत्पाद के अनंतिम अनुमान उम्मीद से थोड़े बेहतर हैं, लेकिन इससे बड़ी तस्वीर बदलने की संभावना नहीं है।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के अप्रैल के 12.5 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान का हवाला देते हुए कहा, ‘‘ 2021-22 के लिए मौजूदा जीडीपी वृद्धि अनुमानों को कम कर आंकड़ों को संतुलित करने की आवश्यकता होगी। कोविड- ​​19 की दूसरी लहर की गंभीरता के कारण अब 10 प्रतिशत से कम वृद्धि दर को लेकर एक सहमति है।’’

डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि अधिकतर राज्यों में अप्रैल और मई में सख्त ‘लॉकउाउन’ लागू करने के साथ, दूसरी लहर का आर्थिक नुकसान अप्रैल-जून तिमाही तक सीमित रहने की संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान संक्रमण की लहर चरम पर जान पड़ता है और बाद की किसी भी लहर का अर्थव्यवस्था पर कम प्रभाव पड़ सकता है जैसा कि दूसरी जगहों पर देखा गया है।’’

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी दमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मुद्राकोष जैसी कई एजेंसियों ने 12.5 प्रतिशत और भारतीय रिजर्व बैंक ने 10.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया है। 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद के साथ-साथ जीवीए में कम संकुचन को देखते हुए इन आंकड़ों में संशोधन करना पड़ सकता है।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ये अनुमान दूसरी कोविड लहर के प्रभाव से पहले जताये गये थे। कोविड की दूसरी लहर और संशोधित आधार प्रभाव को देखते हुए 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 9-9.5 प्रतिशत हो सकती है।’’

एनएसओ ने पूर्व में 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 8 प्रतिशत गिरावट का अनुमान जताया था जबकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 7.5 प्रतिशत की कमी की आशंका जतायी थी।

एक समय कोरोना वायरस संक्रमण का मुख्य केंद्र रहा चीन में वृद्धि दर जनवरी-मार्च, 2021 में 18.3 प्रतिशत रही।

इस बीच, उच्च कर संग्रह से राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.3 प्रतिशत रहा जो 9.5 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है। हालांकि फरवरी 2020 में पेश बजट के दौरान इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।

अर्थव्यवस्था में 2020 की अप्रैल-जून तिमाही में रिकार्ड 24.4 प्रतिशत और अगली तिमाही जुलाई-सितंबर में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी थी।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये 25, मार्च 2020 से देश भर में ‘लॉकडाउन’ लगाया था। इसमें बाद में चरणबद्ध तरीके से ढील दी गयी। लेकिन इसका अंतत: आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

एनएसओ के आंकड़े के अनुसार 2020-21 की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि दर बढ़कर 6.9 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 4.2 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

एनएसओ के बयान के अनुसार, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2020-21 की चौथी तिमाही में 1.6 प्रतिशत बढ़कर 38.96 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2019-20 की चौथी तिमाही में 38.33 लाख करोड़ रुपये था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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