जब लता ने कहा, मेरी गायकी कोई असाधारण चीज नहीं है
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 6, 2022 19:43 IST2022-02-06T19:39:33+5:302022-02-06T19:43:43+5:30
लता जी ने एक बार खुद के बारे में बात करते हुए कहा था कि मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं कि मेरी सफलता ने मुझ पर नुकसानदेह प्रभाव नहीं डाला।

जब लता ने कहा, मेरी गायकी कोई असाधारण चीज नहीं है
दिल्ली: सुर कोकिला लता मंगेशकर ने हिंदी सनेमा में अपनी गायकी के अमूल्य योगदान पर एक बार स्वयं कहा था कि उनकी गायिकी किसी तरह का चमत्कार या कोई असाधारण चीज नहीं है।
दिवंगत लता मंगेशकर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो कुछ है वह ईश्वर की इच्छा है क्योंकि कई लोगों ने उनसे बेहतर गाया, लेकिन उन लोगों को वह सब कुछ नहीं मिला, जो उन्हें मिला’।
लता मंगेशकर हर वक्त इस बात पर बल देती थीं कि किसी को भी सफलता सिर पर चढ़ कर नहीं बोलने देनी चाहिए। लता जी ने कहा था, ‘‘मैं ईश्वर की शुक्रगुजार हूं कि मेरी सफलता ने मुझ पर नुकसानदेह प्रभाव नहीं डाला।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘यदि मुझे कुदरत का तोहफा मिला है तो यह ईश्वर का ही आशीर्वाद है। किसने सोचा था कि मैं इतनी मशहूर हो जाउंगी। ठीक है, मैं गा सकती हूं लेकिन मेरी गायिकी किसी तरह का चमत्कार नहीं है। मेरी गायिकी कोई असाधारण चीज नहीं है। कई लोगों ने मुझसे बेहतर गाया था लेकिन शायद उन्हें वह सब कुछ नहीं मिला जो मुझे मिला।’’
लता मंगेशकर ने यह टिप्पणी 'इन हर आउन वॉयस’ नाम की किताब में की है जिसे प्रसिद्ध लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर ने लिखी है और इस किताब को साल 2009 में नियोगी बुक्स ने प्रकाशित किया था।
भारत रत्न लता मंगेशकर का आज रविवार की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 92 साल की अवस्था में निधन हो गया। 29 दिनों से लगातार अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करने के बाद लता मंगेशकर अपनी अनंत यात्रा पर निकल गई।
वह बीते लगभग एक महीने से कोरोना संक्रमण औक फिर निमोनिया से लड़ रही थीं। अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हर संभव कोशिश की लेकिन वो कामयाब नहीं हुए।