किन-किन हॉलीवुड फिल्मों से अकल लगाकर 'नकल' की गई थी शोले

By खबरीलाल जनार्दन | Published: January 23, 2018 02:18 AM2018-01-23T02:18:46+5:302018-01-23T04:19:32+5:30

साल 1969 में ही एक और हॉलीवुड फिल्म आई थी, 'बुच कैसिडी एंड सनडान्स किड'। 'शोले' की जोड़ी जय-वीरू की ऑनस्क्रीन जुगलबंदी की प्रेरणा वहीं से आई थी।

sholay which hollywood movies are influences sholay | किन-किन हॉलीवुड फिल्मों से अकल लगाकर 'नकल' की गई थी शोले

किन-किन हॉलीवुड फिल्मों से अकल लगाकर 'नकल' की गई थी शोले

संगीतकार प्रीतम पर एक ठप्पा है कि उन्होंने कई विदेशी गानों की धुनों को हूबहू उठा लिया। हिन्दी में एक कहावत है 'नकल के लिए अकल जरूरत पड़ती है'। उन्हें शोले के निर्देशक-लेखकों से यह सीखना चाहिए। ऐसे प्रेरणा का आत्मसात करें कि असल वाले भी भौंचक रहे जाएं। कैसे उनके विचारों को अपनी कल्पनाशीलता में ढालें। गुरुदत्त जैसे कालजयी फिल्मकारों के सिनेमा में पश्चिम के सिनेमा की छाया नजर आती है।

किसको अंदाजा होगा, शोले के प्लॉट से लेकर, ठाकुर, मौसी, जय-वीरू यहां तक गब्बर जैसे किरदारों की कल्पना हॉलीवुड की कुछ क्लासिक फिल्मों को देखकर की गई है। शोले की मेकिंग पर अनुपमा चोपड़ा की लिखी किताब ' शोले: दी मेकिंग ऑफ ए क्लासिक' में इसका जिक्र मिलता है कि इस पर किन-किन हॉलीवुड फिल्मों की छाया रही। शोले निर्देशक रमेश सिप्पी के जन्मदिन पर हम वह आपके सामने वह पेश कर रहे हैं।

सेवेन समुराई से मिली थी कहानी की प्रेरणा

'शोले' और नकल की जब कभी चर्चा होती है तो सबसे पहला नाम 1954 में बनी अकीरा कुरोसावा की फिल्म 'सेवेन समुराई' का आता है। इसमें सात समुराई योद्धा गांव के लोगों को इकट्ठा करके डाकुओं से लड़ते हैं। बॉलीवुड में करीब-करीब इसी फॉर्मूले पर चाइनागेट सरीखी कई फिल्में हैं। लेकिन शोले के लेखक-निर्देशक ने अकल लगाई। डाकुओं से लड़ने के लिए सात योद्धा के बजाए दो योद्धा रखे। बताया जाता है कि सेवेन समुराई से प्रेरित 'मैग्नीफिशेंट सेवेन' की कहानी थी। 'शोले', 'मैग्नीफिशेंट सेवेन' के ज्यादा करीब नजर आती है।

ट्रेन सिक्वेंस की प्रेरणा वाइंल्ड बंच से

साल 1969 में आई फिल्म 'वाइल्ड बंच' में एक ट्रेन डकैती सीक्वेंस फिल्माया गया था। इस खास दृश्य को आज भी हॉलीवुड सिनेमा में याद किया जाता है। 'शोले' में भी ट्रेन डकैती का सीक्वेंस कुछ कम नहीं था। बल्कि ट्रेन में डकैती फिल्माए गई कई फिल्मों के बाद ऐसे दृश्यों के लिए वही शोले का दृश्य आदर्श है। 


जय-वीरू के किरदारों की प्रेरणा बुच कैसिडी एंड सनडान्स किड

साल 1969 में ही एक और हॉलीवुड फिल्म आई थी, 'बुच कैसिडी एंड सनडान्स किड'। फिल्म के दो हीरो थे बुच और और सनडान्स छोटे-मोटे अपराध करने वाले उच्चके होते हैं। 'शोले' की जोड़ी जय और वीरू की स्क्रीन पर जुगलबंदी लोगों को खूब रास आया। इसकी प्रेरणा वहीं से आई थी। 

ठाकुर के किरदार की प्रेरणा

साल 1955 की फिल्म 'बैड डे एट द ब्लैक रॉक' के एक अहम किरदार का एक हाथ कटा हुआ था। लेकिन यह राज फिल्म के आखिर में खुलता है। 'शोले' में भी काफी देर के बाद यह राज खुलता है कि ठाकुर के दोनों हाथ नहीं है।

शोले के फ्लैशबैक गब्बर के व्यवहार की प्रेरणा

साल 1968 की फिल्म 'वन्स अपॉन अ टाइम इन वेस्ट' का खलनायक बेहद क्रूर था। कहते हैं गब्बर का किरदार भले सलीम ने अपनी पिता की कहान‌ियों के आधार पर चंबल के असल डाकू गब्बर सिंह के आधार पर लिखा हो। पर इसको विकस‌ित करने के लिए 'वन्स अपॉन अ टाइम इन वेस्ट' के खलनायक की सहायता ली गई है। इस फिल्म के खलनायक एक मासूम समेत पूरे परिवार की क्रूरता से हत्या की थी।

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यह कहानी भी फ्लैशबैक में बताई जाती है। 'शोले' में भी एक लंबा फ्लैशबैक है, जिससे पता चलता है कि गब्बर सिंह ने ठाकुर के पूरे परिवार को खत्म दिया था।

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