सुप्रीम कोर्ट ने 'राम की जन्मभूमि' फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया। याचिका में कहा गया था कि इस फिल्म के रिलीज होने से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद केस में मध्यस्थता की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एसए बोडबे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा- 'फिल्म और मध्यस्थता में क्या रिश्ता है। दोनों पार्टिया यह विवाद खत्म करना चाहती हैं। कोई फिल्म इस प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता।'
ये फिल्म इसी 29 मार्च 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज होनी है। सनोज मिश्रा के निर्देशन में बनी फिल्म राम जन्मभूमि में 1992 में अयोध्या में हुई घटनाओं को कहानी की तरह प्रस्तुत किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि फिल्म में संविधान के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को यदि बरकरार रखना है तो लोगों को सहिष्णु बनना पड़ेगा। अदालत की यह टिप्पणी शहजादा याकूब हबीबुद्दीन तूसी की याचिका पर सुनवाई के दौरान आई जो स्वयं को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज बताता है।
अब फिल्म फैंस के बीच बिना किसी रुकावट के पेश कर दी जाएगी। दरअसल हाल ही में याचिकाकर्ता ने ‘राम की जन्मभूमि’ फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इससे आयोध्या भूमि विवाद में जारी मध्यस्थता प्रक्रिया पर असर होगा। सुप्रीम ने कहा कि वह ‘राम की जन्मभूमि’ फिल्म को लेकर दायर याचिका पर दो सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा ।