गुलाल, ब्लैक फ्राइडे, पटियाला हाउस जैसी फिल्मों में काम कर चुके त्रिलोचन सिंह उर्फ सवी सिद्धू आज उन्हें अपना घर चलाने के लिए एक अपार्टमेंट में गार्ड की नौकरी करनी पड़ रही है। अब इस एक्टर से स्पोर्ट में अनुराग कश्यप और राजकुमार राव आए हैं।
एक्टर राजकुमार राव ने ट्विटर पर सवी सिद्धू का सपॉर्ट करते हुए लिखा है कि मैं कास्टिंग करने वाले दोस्तों से आपके बारे में बात करूंगा। वहीं, अनुराग कश्यप की बात करें तो सिद्धू ने उनकी ही फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की थी।
ऐसे में अनुराग कश्यप ने भी ट्वीट कर लिखा है कि मैं एक एक्टर के तौर पर सवी सिद्धू का सम्मान करता हूं और उन्हें अपनी 3 फिल्मों में काम दिया है। अपने आप को शराब या किसी और बुरी आदत में बर्बाद करने के बजाय सवी ने इतनी कठिन जॉब करने का निर्णय लिया है जिसका मैं सम्मान करता हूं।'
अनुराग ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी का उदाहरण देते हुए लिखा, 'वह भी एक वॉचमैन की जॉब करते थे। मैं एक वेटर रह चुका हूं। मैं एक ऐसे ऐक्टर से भी मिला जो गलियों में भेलपुरी बेचता था। मैं 'ब्लैक फ्राइडे' के एक ऐसे ऐक्टर को भी जानता हूं जो रिक्शा चलाते थे।' अनुराग ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सवी अपनी मदद खुद ही कर सकते हैं।
अनुराग ने कहा, 'रोल पाने के लिए किसी को भी कास्टिंग डायरेक्टर्स के पास ऑडिशन देना होगा ताकि उन्हें रोल मिले। लवी को भी अन्य लोगों की तरह कास्टिंग डायरेक्टर्स के पास जाना होगा।' अनुराग ने कहा कि यह सम्मान की बात है कि सवी भीख मांगने या खुद को बर्बाद करने के बजाय जॉब कर रहे हैं। अगर लोगों को ऐसे कलाकारों का सम्मान करना है तो उनके काम को जरूर देखें।
जानें पूरा मामला
अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत के बारे में बताते हुए एक्टर ने कहा है कि अनुराग कश्यप मिले स्ट्रगल करते-करते, तो मुझे पांच में लिया। उनकी जो पहली फिल्म थी, रिलीज नहीं हुई। उसके बाद उन्होंने मुझे ब्लैक फ्राइडे में लिया, जिसमें मैंने कमिश्नर का रोल किया। उसके बाद उनके साथ मैंने गुलाल भी की। मैंने यश राज, सुभाष जी के साथ, निखिल आडवाणी के साथ पटियाला हाउस की।"
सवी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई लखनऊ से पूरी की, जिसके बाद वह चंडीगढ़ चले गए। जब वह ग्रैजुएशन कर रहे थे, तो उन्होंने मॉडलिंग का ऑफर मिला। इसके बाद वह लॉ की डिग्री के लिए वापस लखनऊ चले आए। इस बीच सवी ने थियेटर भी किया। सवी बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही 'एक्टिंग का कीड़ा' था। वह बताते हैं कि, "जब से मेरे भाई की एयर इंडिया में जॉब लगी, तब से उनके लिए मुंबई आना आसान हो गया। फिर जैसे स्ट्रगल होता है... मैंने शुरू किया प्रोड्यूसर्स को मिलना।"
वो आगे कहते हैं, काम की कभी प्रॉब्लम नहीं हुई। मुझे ही छोड़ना पड़ा कि मैं नहीं कर पा रहा हूं। ऐसा लगता था, जैसे काम मेरा ही इंतजार कर रहा है। यहां जैसे लोगों को काम मिलता नहीं और मेरे पास इतना काम है कि मैं काम नहीं कर पा रहा। मेरी हेल्थ प्रॉब्लम्स बढ़ रही हैं। मेरी आर्थिक समस्याएं भी बढ़ गईं। सेहत खराब हुई, तो काम खत्म हो गया।"