सुप्रीम कोर्ट ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को दिए गये सीबीएफसी प्रमाणपत्र को अवैध ठहराने से जुड़ी याचिका शुक्रवार (19 जनवरी) को खारिज कर दी। ये याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, "कोर्ट को संवैधानिक अदालत की तरह काम करना होता है और वो कल ही अपने अंतरिम आदेश में साफ कर चुकी है कि फिल्म की स्क्रीनिंग को नहीं रोका जा सकता।"
संजय लीला भंसाली की पद्मावत 25 जनवरी को रिलीज होने वाली है। दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं। गुरुवार (18 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने फिल्मकार संजय लीला भंसाली की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश के विभिन्न राज्यों द्वारा फिल्म पर लगाए गये प्रतिबंध को हटा दिया था। अदालत ने कहा था कि फिल्म पूरे देश में रिलीज होगी और कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। फिल्म पर मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान और बिहार सरकार ने बैन लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में भंसाली की तरफ से पेश हुे सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा प्रमाणपत्र दिये जाने के बाद राज्यों द्वारा बैन लगाना संघीय ढांचे के खिलाफ है। सीबीएफसी ने फिल्म को यू/ए सर्टिफिकेट दिया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को नाम बदलने और छह जगह पर बदलाव करने के बाद ये प्रमाणपत्र दिया। सेंसर बोर्ड के सुझाव पर ही फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत किया गया।
राजस्थान का स्थानीय संगठन राजपूत करणी सेना फिल्म का विरोध कर रही है। सेना का आरोप है कि फिल्म में रानी पद्मावती का अपमान किया गया है। करणी सेना ने फिल्म रिलीज के दिन बंद का आह्वान किया है। वहीं राजस्थान सरकार के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सरकार फैसले के अध्ययन के बाद आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी।