सिनेमाघरों में जल्द दस्तक देने वाली फिल्म 'द केरला स्टोरी' को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। फिल्म की कहानी को लेकर बड़े पैमाने पर राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने आई है।
इस बीच अब मुस्लिम यूथ लीग की केरल राज्य समिति ने 'द केरला स्टोरी' में दिखाई गई कहानी को सच साबित करने पर इनाम का ऐलान किया है। मुस्लिम लीग ने एक करोड़ रुपये धनराशि देने का ऐलान किया है।
वहीं, फिल्म की कहानी को लेकर लेकर सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ), विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और कांग्रेस ने फिल्म का विरोध किया है।
दरअसल, फिल्म में दिखाया गया है कि केरल की हजारों युवा महिलाएं लापता हो गई हैं। जिन्हें ब्रेनवाश करके इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल होने और सीरिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में भेजा गया था।
फिल्म में दिखाए इन आरोपों को ही सही साबित करने पर रकम का ऐलान किया है। 5 मई को रिलीज होने वाली फिल्म में अदा शर्मा मुख्य भूमिका में हैं।
यह विपुल अमृतलाल शाह द्वारा स्थापित सनशाइन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा समर्थित है, जो फिल्म के निर्माता, रचनात्मक निर्देशक और सह-लेखक के रूप में कार्य करता है।
इसी कड़ी में फिल्म को लेकर अब दो गुट आपस में बट गए हैं एक जो फिल्म के समर्थन में है और दूसरा जो इसके तथ्यों का विरोध कर रहे हैं। एक ओर जहां मुस्लिम लीग ने फिल्म के आरोपों को सही साबित करने पर इनाम की घोषणा की है।
वहीं, एक दक्षिणपंथी कार्यकर्ता और हिंदू सेवा केंद्र के संस्थापक प्रतीश विश्वनाथ ने भी 10 करोड़ रुपये की पेशकश की है। उन्होंने फिल्म में दिखाए गए तथ्यों को गलत साबित करने के लिए कि केरल से कोई भी आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया नहीं गया है।
फिल्म पर लगा धार्मिक सद्भाव को खत्म करने का आरोप
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने संघ परिवार पर सांप्रदायिकता के जहरीले बीज बोकर राज्य में धार्मिक सद्भाव को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगया है।
माकपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ने फिल्म के निर्माताओं की आलोचना करते हुए कहा कि वह 'लव जिहाद' का हौवा खड़ा कर राज्य को धार्मिक उग्रवाद के केंद्र के रूप में पेश करने के संघ परिवार के प्रचार को आगे बढ़ा रहे हैं। इन आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी ने केरल के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ सीपीआई के रुख को दोहरे मानकों के रूप में कहा है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता राज्य में संप्रदायवाद फैलाने और विभाजन पैदा करने के लिए सिनेमा का उपयोग करने का औचित्य नहीं हो सकता।
जानकारी के अनुसार, इन आरोपों के बावजूद फिल्म पर किसी तरह की रोक नहीं लगाई गई है। फिल्म एग्जिबिटर्स यूनाइटेड ऑर्गनाइजेशन ऑफ केरला (FEUOK) के प्रतिनिधियों ने कहा है कि किसी फिल्म पर प्रतिबंध लगाना व्यर्थ है क्योंकि दर्शक अभी भी इसे OTT प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।
फिल्म एग्जिबिटर्स यूनाइटेड ऑर्गनाइजेशन ऑफ केरला के एक पदाधिकारी और कोच्चि में एक थिएटर कॉम्प्लेक्स के मालिक सुरेश शेनॉय को मीडिया ने यह कहते हुए उद्धृत किया है कि इस तरह का कदम एक बुरी मिसाल कायम करता है और सेंसरशिप के बराबर है।