आमिर खान के तलाक के बहाने कंगना रनौत ने दागा सवाल- अंतरधार्मिक विवाह में बच्चे हमेश मुस्लिम ही क्यों बनते हैं?
By अनिल शर्मा | Published: July 5, 2021 03:32 PM2021-07-05T15:32:18+5:302021-07-07T10:04:44+5:30
कंगना ने आमिर खान के तलाक पर हैरानी जताई है। एक्ट्रेस ने आगे लिखा, आमिर खान के तलाक के बाद मुझे ताज्जुब हुआ कि अंतरधार्मिक विवाह में बच्चे हमेश मुस्लिम ही क्यों बनते हैं। क्यों आखिर महिलाएं हिंदू नहीं बनी रह पाती हैं।
बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। अपनी बेबाक छवि की वजह से कई बार मुसीबतों में भी पड़ चुकी हैं। इस बीच उन्होंने आमिर खान और किरण राव के बीच हुए तलाक के बहाने मुस्लिम समुदाव को कठघरे में शामिल किया है।
कंगना रनौत ने पूछा है कि मुस्लिम से शादी करने के बाद धर्म क्यों बदलना पड़ता है। कंगना ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में इस सवाल को रखा है। उन्होंने लिखा- एक समय में पंजाब में ज्यादातर परिवारों में अपने एक बेटे को हिंदू तो दूसरे बेटे को सिख बनाने का रिवाज था। ऐसा चलन हिंदुओं और मुस्लिम या सिख किसी का भी मुस्लिमों के साथ देखने को नहीं मिला।'
कंगना ने आमिर खान के तलाक पर हैरानी जताई है। एक्ट्रेस ने आगे लिखा, आमिर खान के तलाक के बाद मुझे ताज्जुब हुआ कि अंतरधार्मिक विवाह में बच्चे हमेश मुस्लिम ही क्यों बनते हैं। क्यों आखिर महिलाएं हिंदू नहीं बनी रह पाती हैं।
कंगना ने वक्त के साथ बदलाव की बात की है। उन्होंने कहा कि वक्त बदलने के साथ हमें यह भी बदलना चाहिए। एक पुरानी और उल्टी प्रथा है। अगर एक परिवार में हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, राधास्वामी और नास्तिक साथ रह सकते हैं तो मुस्लिम क्यों नहीं? आखिर क्यों किसी को मुस्लिम से शादी करने के लिए अपना धर्म बदलना पड़ता है?
पिछले साल भी आमिर खान पर कंगना ने हमला बोला था
गौरतलब है कि अगस्त 2020 में आमिर खान के तुर्की राष्ट्रपति की पत्नी एमीन एर्दोगन से मिलने पर कंगना ने उनको कट्टरपंथी तक कहा था। उस दौरान कंगना ने आमिर खान का एक फर्जी इंटरव्यू पोस्ट कर कई आरोप लगाए थे। कंगना रनौत ने आमिर खान को टैग करते हुए उस इंटरव्यू के लिंक को शेयर करते हुए लिखा था‘हिंदू+मुस्लिम = मुस्लिम। ये तो कट्टरपंथी है।’ कहा था कि‘विवाह का परिणाम केवल जीन और संस्कृतियों का ही नहीं बल्कि धर्मों का भी मिश्रण है। बच्चों को अल्लाह की इबादत भी सिखाएं और श्रीकृष्ण की भक्ति भी। यही सेकुलरिज्म है न?’