बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में मुस्लिम प्रोफेसर द्वारा संस्कृत पढ़ाए जाने के विरोध का मामला छाया हुआ है। इसको लेकर विरोध जारी है। कई लोगों ने इसको लेकर हैरानी जताई है कि कैसे भाषा और धर्म को जोड़ा जा सकता है।इस बीच प्रोफेसर फिरोज खान ने सावल पूछा कि मैं एक मुसलमान हूं, तो क्या मैं छात्रों को संस्कृत नहीं सिखा सकता। अब इस मामले पर एक्टर बीजेपी के पूर्व नेता परेश रावल ने अपनी राय व्यक्त की है।
परेश रावल सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह सामाजिक और राजनीतिक हर एक मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते रहते हैं। अब बीएचयू वाले मुद्दे पर परेश ने कहा है कि इस तर्क से तो मोहम्मद रफी को भजन ही नहीं गाने चाहिए थे।
हाल ही में बीएचयू में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में फिरोज खान नाम के एक टीजर की नियुक्ति हुई थी। लेकिन वहां के छात्र इस अध्यापक का विरोध कर रहे हैं। इस पर परेश रावल ने अपनी प्रतिक्रिया पेश की है।
परेश ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि प्रोफेसर फिरोज़ खान के खिलाफ विरोध देखकर हैरान हूं। किसी धर्म और भाषा का क्या लेना-देना। प्रोफेसर फिरोज ने अपना पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी संस्कृत में की है। भगवान के लिए इस बेवकूफ़ी को बंद कीजिए।
इसके बाद परेश ने लिखा है कि इस तर्क से तो महान गायक स्वर्गीय श्री मोहम्मद रफी जी को भजन नहीं गाने चाहिए थे और नौशाद साहब को उनका संगीत नहीं बनाना चाहिए था। परेश के इस ट्वीट पर लोग जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
इस मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने क्या कहा?
इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने पहले भी स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी के नियमानुसार शिक्षक की योग्यता को देखते हुए नियुक्ति की गई है। कुलपति राकेश भटनागर ने शुक्रवार को डॉ. फिरोज खान की नियुक्ति के विरोध में धरने पर बैठे छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को आवास पर बुलाकर करीब दो घंटे चर्चा की। इससे पहले कुलपति ने संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय प्रमुख और संकाय के सभी विभागाध्यक्षों के साथ भी विस्तार से चर्चा की।