इन दिनों बॉलीवुड के सबसे दिग्गज निर्माता-निर्देशक चीन को लेकर बड़े कौतूहल में हैं। वे किसी भी हाल में अपनी फिल्म चीन में रिलीज कराना चाह रहे हैं। डायचे वैले की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार के एक नियम के तहत हर साल केवल 20 विदेशी फिल्में ही वहां के सिनेमाघरों में रिलीज की जा सकती हैं। कुछ दिन पहले तक विदेशी फिल्मों की रिलीज की सीमा 10 थी। तब इनमें ज्यादातर हॉलीवुड फिल्में ज्यादा बाजी मार ले जाती थीं। बची-खुची जगह कोरियाई फिल्में भर देती थीं, क्योंकि वे सांस्कृतिक रूप से चीन के ज्यादा करीब हैं।
लेकिन पिछले साल यह भ्रांति टूटी। आमिर खान अपनी सबसे ज्यादा सफल फिल्म 'दंगल' लेकर चीन पहुंचे। नतीजा कुछ ऐसा रहा-
19 अक्टूबर 2017 को जब भारत में "सीक्रेट सुपरस्टार" रिलीज हुई तो महज 63.40 करोड़ पर सिमट गई, जबकि फिल्म दिवाली की छुट्टियों (पिछले साल दिवाली 30 अक्टूबर को थी) के इर्द-गिर्द रिलीज हुई थी। लेकिन यही फिल्म जब चीन में रिलीज हुई तो कमाई 500 करोड़ पार कर गई।
विदेशों से "पद्मावत" की कमाई
"पद्मावत" ने अंतराष्ट्रीय स्तर खूब कमाई की। नॉर्थ-अमेरिका में इसने किसी भी हिन्दी फिल्म की अब तक की कमाई के रिकॉर्ड तोड़े। बताया गया कि संजय लीला भंसाली में अमेरिका के लोगों के दिल में खास जगह बना चुके हैं। अब उनके दर्शक अमेरिका में भी रहने वाले हैं। अगर ऐसा है तो निश्चित ही भंसाली अगली फिल्म में इसका असर दिखेगा।
विदेशों में दक्षिण भारतीय फिल्मों की कमाई
अमेरिका में दक्षिण भारतीय फिल्मों की भी जबर्दस्त मांग है। कई बार भारत में असफल रही फिल्में वहां जाकर हिट हो जा रही हैं। "मार्सल" समेत ऐसी कई फिल्में हैं।
जबकि कुछ लोगों का मानना है कि क्रॉसओवर सिनेमा विशुद्ध रूप से बॉलीवुड वालों का दिया गया शब्द है। इसका संबंध केवल उन भारतीय फिल्मों से है, जो विदेशों में एशियाई दर्शकों व कुछ स्थानीय दर्शकों में भी लोकप्रिय हुई हैं। इसका एक नमूना पिछले साल दिखा था जब ट्यूबलाइट के भारत में रिलीज के लिए हो रहे प्रचार-प्रसार के दौरान टाइम्स स्क्वॉयर पर पोस्टर लगाया गया था।
इंडिया में क्रॉसओवर सिनेमा की शुरुआत
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रॉसओवर सिनेमा पुराना शब्द है। तब इसके मायने 'मानसून वेडिंग', 'कभी खुशी कभी गम', 'बेंड इट लाइक बेखम', 'वाटर', 'ईस्ट इज ईस्ट', जैसी फिल्मों में ढूढ़े जाते थे। इनके निर्देशक अंग्रेजी के समझदार थे। और फिल्मों की भाषा भी अंगरेजीदां थी। ये फिल्में पश्चिमी देशों में मशहूर भी हुई थीं।
हॉलीवुड में यह पहले से मशहूर है। वे देखते हैं कि जहां उनकी फिल्मों की मांग बढ़ रही है, उसके लिए वे अलग से योजना बनाते हैं कि और अपनी फिल्मों में उनका उल्लेख करते हैं। इसके अच्छे उदाहरण आपको इन दिनों हॉलीवुड फिल्मों में भारतीय कलाकारों की बढ़ती धमक है। प्रियंका चोपड़ा, इरफान खान, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर आदि लगातार हॉलीवुड सिनेमा में सक्रिय हैं। जबकि दूसरी ओर 'अवतार' जैसी ऑस्कर जीत चुकी फिल्म के शुरुआती दृश्य ही इंडिया का होना, उनके क्रॉसओवर ओवर सिनेमा के प्रति चैतन्यता को दिखता है।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन सिनेमा को क्रॉसओवर सिनेमा तक पहुंचाने का श्रेय प्रोवोक्ट, बवंडर, दी अदर वूमन, सेक्सुअल मालिस जैसी फिल्में बना चुके इंडो-अमेरिकन निर्माता-निर्देशक जग मूंदड़ा को जाता है। इस बारे में उनके विचार इस तरह थे।
वह सिनेमा जो अपनी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पहचान की सीमा से बाहर निकलकर दूसरी राष्ट्रीयता का दिल जीत ले उसे क्रॉसओवर सिनेमा कहा जा सकता है- जग मूंदड़ा, इंडो-अमेरिकन फिल्म निर्माता-निर्देशक, पटकथा लेखक