चीन ने बॉलीवुड को बहकाया, 'क्रॉसओवर सिनेमा' बनाने पर किया मजबूर 

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: March 6, 2018 08:44 IST2018-03-06T08:44:38+5:302018-03-06T08:44:38+5:30

बीते दो सालों में चीन ने भारतीय सिनेमा को अजीबोगरीब ढंग से प्रभावित किया है। उसका असर 'क्रॉसओवर सिनेमा' के निर्माण के तौर पर पड़ रहा है। क्या है ये 'क्रॉसओवर सिनेमा'- 

China seduced Bollywood, forced to make 'crossover cinema' | चीन ने बॉलीवुड को बहकाया, 'क्रॉसओवर सिनेमा' बनाने पर किया मजबूर 

चीन ने बॉलीवुड को बहकाया, 'क्रॉसओवर सिनेमा' बनाने पर किया मजबूर 

Highlightsचीन में बजरंगी भाईजान की कमाई पहले वीकेंड पर 55 करोड़ के पार पहुंचीचीन में अभी बाहुबली 2 नहीं हो पाई ही रिलीज, निर्माताओं ने लगाया है जोरभारतीय फिल्मों की विदेशों से होने वाली कमाई तेजी से बढ़ीसीमाएं लांघकर दूसरे देशों में अच्छा व्यापार करने वाली फिल्मों को क्राॅसओवर सिनेमा की श्रेणी में रखते हैं

इन दिनों बॉलीवुड के सबसे दिग्गज निर्माता-निर्देशक चीन को लेकर बड़े कौतूहल में हैं। वे किसी भी हाल में अपनी फिल्म चीन में रिलीज कराना चाह रहे हैं। डायचे वैले की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार के एक नियम के तहत हर साल केवल 20 विदेशी फिल्में ही वहां के सिनेमाघरों में रिलीज की जा सकती हैं। कुछ दिन पहले तक विदेशी फिल्मों की रिलीज की सीमा 10 थी। तब इनमें ज्यादातर हॉलीवुड फिल्में ज्यादा बाजी मार ले जाती थीं। बची-खुची जगह कोरियाई फिल्में भर देती थीं, क्योंकि वे सांस्कृतिक रूप से चीन के ज्यादा करीब हैं।

लेकिन पिछले साल यह भ्रांति टूटी। आमिर खान अपनी सबसे ज्यादा सफल फिल्म 'दंगल' लेकर चीन पहुंचे। नतीजा कुछ ऐसा रहा-



दंगल की भारत और पूरे विश्व में जितनी कमाई नहीं हुई थी, अकेले चीन में उससे ज्यादा हुई। इससे एक अजीब तरह का मैसेज भारतीय सिनेमा में आया, जिस आमिर खान ने कभी हॉलीवुड फिल्मों का रुख नहीं किया, हमेशा यह कहते रहे कि वे भारतीय दर्शकों के हीरो हैं, वही अपनी फिल्मों को चीन में रिलीज कराने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगाने लगे। इसकी एक बानगी हमें इस साल के शुरुआत में दिखी।

19 अक्टूबर 2017 को जब भारत में "सीक्रेट सुपरस्टार" रिलीज हुई तो महज ‎63.40 करोड़ पर सिमट गई, जबकि फिल्म दिवाली की छुट्टियों (पिछले साल दिवाली 30 अक्टूबर को थी) के इर्द-गिर्द रिलीज हुई थी। लेकिन यही फिल्म जब चीन में रिलीज हुई तो कमाई 500 करोड़ पार कर गई।


ऐसे में आमिर के प्रोफेशनल प्रतिद्वंदी सलमान कैसे पिछड़ते। उन्होंने भी दोस्त निर्देशक कबीर खान के साथ मिलकर चीन में फिल्म रिलीज की सभी अर्हताएं पूरी कर "बजरंगी भाईजान" को चीनी मैदान में उतार दिया। नतीजा आपके सामने है, बजरंगी पहले वीकेंड पर ही 55 करोड़ से ज्यादा बटोर चुका है।
चीनी दर्शकों का यह बहकावा ऐसा कि भारत की सबसे बड़ी फिल्म कही जाने वाली "बाहुबली 2" करीब एक साल से चीन का मुंह ताक रही है। बाहुबली के निर्माताओं ने एक साल पहले से चीन में अर्जी लगा रखी है, लेकिन अभी भी फिल्म वहां रिलीज की बांट जोह रही है।
चीनी दर्शकों के इस बर्ताव ने बॉलीवुड और भारतीय निर्माता-निर्देशकों पर एक अनकहा दबाव बना दिया है, वो ये कि फिल्म बनाते वक्त बाहरी दर्शकों का भी खयाल रखो। इसी को क्रॉसओवर सिनेमा कहते हैं। यहां बाहरी का आशय केवल चीन से नहीं है। असल में भारतीय फिल्मों के विदेशों में देखे जाने के पूरे ट्रेंड में बदलाव आया है। कुछ हालिया आंकड़ों पर नजर डालिए- 

विदेशों से "पद्मावत" की कमाई

"पद्मावत" ने अंतराष्ट्रीय स्तर खूब कमाई की। नॉर्थ-अमेरिका में इसने  किसी भी हिन्दी फिल्म की अब तक की कमाई के रिकॉर्ड तोड़े। बताया गया कि संजय लीला भंसाली में अमेरिका के लोगों के दिल में खास जगह बना चुके हैं। अब उनके दर्शक अमेरिका में भी रहने वाले हैं। अगर ऐसा है तो निश्चित ही भंसाली अगली फिल्म में इसका असर दिखेगा।





विदेशों में द‌क्षिण भारतीय फिल्मों की कमाई

अमेरिका में दक्षिण भारतीय फिल्मों की भी जबर्दस्त मांग है। कई बार भारत में असफल रही फिल्में वहां जाकर हिट हो जा रही हैं। "मार्सल" समेत ऐसी कई फिल्में हैं।



इन आंकड़ों ने भारतीय सिनेमा बनाने वालों पर एक ऐसा अनकहा दबाव बनाया है, जिसे फिल्म व्यापार विश्लेषक सकारात्मक तौर पर लेते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में इसका भारतीय सिनेमा को लेकर हुए इन बदलावों के बारे में जिक्र किया था।
बीते करीब एक साल से लगातार इस दिशा में हो रही बातचती से शायद भारतीय सिनेमा के पुरोधाओं की आंखें खुली हैं। फिल्म निर्माता जो किसी हाल में मुनाफा की सोचते हैं, अब क्रॉसओवर सिनेमा की ओर जोर लगा रहे हैं। पिछले साल "बहन होगी तेरी" देखकर लौटते वक्त मेरे साथी दर्शक ने टिप्पणी की, "देखो एक तरफ लोग दंगल और बाहुबली बना रहे हैं, एक ये लोग हैं, बहन होगी तेरी में परेशान हैं"। निश्चित तौर पर उस अजनबी दर्शक की टिप्पणी कोई पैमाना नहीं है। लेकिन असल में यही सोच है, जो ट्रॉन्सफार्म हो रही है- दर्शक में, दर्शक से टिकट खिड़की और टिकट खिड़की से निर्माताओं तक। इसी वजह से इंडिया में अब दौर आ रहा है ऐसी फिल्में बनाने का, जिसके लिए इस तरह के ट्वीट किए जाएं, उत्तरी अमेरिका में बाहुबली 2 की कमाई 132 करोड़ पार-


यही क्रॉसओवर सिनेमा है। कहने का आशय है कि जो फिल्में सीमाएं लांघ कर अन्य देशों में सफल होती हैं, वो क्रासओवर फिल्में हैं। 

जबकि कुछ लोगों का मानना है कि क्रॉसओवर सिनेमा विशुद्ध रूप से बॉलीवुड वालों का दिया गया शब्द है। इसका संबंध केवल उन भारतीय फिल्मों से है, जो विदेशों में एशियाई दर्शकों व कुछ स्‍थानीय दर्शकों में भी लोकप्रिय हुई हैं। इसका एक नमूना पिछले साल दिखा था जब ट्यूबलाइट के भारत में रिलीज के लिए हो रहे प्रचार-प्रसार के दौरान टाइम्स स्‍क्वॉयर पर पोस्टर लगाया गया था। 


यही हालात रहे तो जल्द ही भारतीय वितरक भारत में अपनी फिल्मों की स्क्रीन के साथ विदेशों में उसे कितनी स्क्रीन मिल रही है, यानी सिनेमाघरों में कितनी जगह मिल रही है, इसके लिए भी जद्दोजहद शुरू कर देंगे, तो क्रॉसओवर सिनेमा के असल मायने सामने आएंगे।

इंडिया में क्रॉसओवर सिनेमा की शुरुआत

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रॉसओवर सिनेमा पुराना शब्द है। तब इसके मायने 'मानसून वेडिंग', 'कभी खुशी कभी गम', 'बेंड इट लाइक बेखम', 'वाटर', 'ईस्ट इज ईस्ट', जैसी फिल्मों में ढूढ़े जाते थे। इनके निर्देशक अंग्रेजी के समझदार थे। और फिल्मों की भाषा भी अंगरेजीदां थी। ये फिल्में पश्चिमी देशों में मशहूर भी हुई थीं।

हॉलीवुड में यह पहले से मशहूर है। वे देखते हैं कि जहां उनकी फिल्मों की मांग बढ़ रही है, उसके लिए वे अलग से योजना बनाते हैं कि और अपनी फिल्मों में उनका उल्लेख करते हैं। इसके अच्छे उदाहरण आपको इन दिनों हॉलीवुड फिल्मों में भारतीय कलाकारों की बढ़ती धमक है। प्र‌ियंका चोपड़ा, इरफान खान, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर आदि लगातार हॉलीवुड सिनेमा में सक्रिय हैं। जबकि दूसरी ओर 'अवतार' जैसी ऑस्कर जीत चुकी फिल्म के शुरुआती दृश्य ही इंडिया का होना, उनके क्रॉसओवर ओवर सिनेमा के प्र‌ति चैतन्यता को‌ दिखता है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन सिनेमा को क्रॉसओवर सिनेमा तक पहुंचाने का श्रेय प्रोवोक्ट, बवंडर, दी अदर वूमन, सेक्सुअल मालिस जैसी फिल्में बना चुके इंडो-अमेरिकन निर्माता-निर्देशक जग मूंदड़ा को जाता है। इस बारे में उनके विचार इस तरह थे।

वह सिनेमा जो अपनी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पहचान की सीमा से बाहर निकलकर दूसरी राष्ट्रीयता का दिल जीत ले उसे क्रॉसओवर सिनेमा कहा जा सकता है- जग मूंदड़ा, इंडो-अमेरिकन फिल्म निर्माता-निर्देशक, पटकथा लेखक

Web Title: China seduced Bollywood, forced to make 'crossover cinema'

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