मुश्किलों में आदिपुरुष की निर्माण टीम, इलाहाबाद HC ने निर्देशक, निर्माता और संवाद लेखक को किया तलब, केंद्र सरकार से समिति गठन को कहा, जानें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 1, 2023 08:30 AM2023-07-01T08:30:15+5:302023-07-01T08:51:57+5:30
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को विवादास्पद बॉलीवुड फिल्म ‘आदिपुरुष’ के फिल्म निर्माताओं को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि इसमें रामायण के पात्रों को "बड़े शर्मनाक तरीके से" दिखाया गया है। लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि रामायण, कुरान या बाइबिल पर विवादित फिल्में बनायी ही क्यों जाती हैं, जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।
लखनऊः संवादों और पात्रों के रूप को लेकर विवादों में घिरी फिल्म आदिपुरुष की टीम की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। दर्शकों से मिली आलोचना और फिल्म के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ‘आदिपुरुष’ के निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर उर्फ मनोज शुक्ला को 27 जुलाई को अदालत के समक्ष पेश होने के लिए कहा है। इसके साथ ही पीठ ने केंद्र सरकार को फिल्म पर अपना विचार पेश करने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली कुलदीप तिवारी और नवीन धवन की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने निर्देशक ओम राउत, निर्माता भूषण कुमार, संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को 27 जुलाई को उसके सामने पेश होने का आदेश दिया।
इसी के साथ अदालत ने केंद्र सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्रालय को पांच सदस्यीय समिति बनाकर फिल्म से संबंधित शिकायतों को देखने का आदेश दिया है, जो फिल्म पर अपना विचार देगी कि क्या इससे जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है। अदालत ने मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर समिति का गठन करने और 15 दिनों के भीतर समिति को रिपोर्ट तैयार करने का भी निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को विवादास्पद बॉलीवुड फिल्म ‘आदिपुरुष’ के फिल्म निर्माताओं को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि इसमें रामायण के पात्रों को "बड़े शर्मनाक तरीके से" दिखाया गया है। लखनऊ खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि रामायण, कुरान या बाइबिल पर विवादित फिल्में बनायी ही क्यों जाती हैं, जो लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। याचिकाओं पर न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की अवकाशकालीन पीठ सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा, ‘‘मान लीजिए, कुरान पर एक छोटी डॉक्यूमेंट्री बनायी जाती। क्या आप सोच सकते हैं कि उससे किस प्रकार कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती ? लेकिन हिंदुओं की सहिष्णुता के कारण ही चीजें फिल्मकारों की भयंकर भूलों के बाद भी विद्रूप रूप नहीं लेती हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘एक फिल्म में भगवान शंकर को त्रिशूल लेकर दौड़ते हुए दिखाया गया है। अब भगवान राम और रामायण के अन्य पात्रों को बड़े शर्मनाक ढंग से दिखाया गया है। क्या यह नहीं रूकना चाहिए?’’
भाषा इनपुट के साथ