मुंबई: बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला ने देशभर में 5जी वायरलेस नेटवर्क के स्थापित किए जाने की चर्चाओं के बीच कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जूही चावला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि 5जी तकनीक से पर्यावरण के साथ लोगों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
जस्टिस सी हरी शंकर की पीठ ने सोमवार को इस मामले में सुनवाई की और दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच को यह मामला स्थानांतरित कर दिया । अब इस मामले की सुनवाई 2 जून को होगी। जूही चावला दरअसल पर्यावरण को लेकर अक्सर लोगों को सोशल मीडिया पर जागरूक करती रहती है। पर्यावरण के बारे में वह सोशल मीडिया पर पोस्ट भी करते रहती हैं।
जूही चावला ने कहा कि 'टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री 5जी तकनीक भारत में लाने की तैयारी कर रही है लेकिन इसके एक्स्पोज़र से इंसान, जानवर, पक्षी कोई भी इस पृथ्वी पर बच नहीं पाएगा । आरएफ रेडिएशन आज की तुलना में 10 से 100 गुना बढ़ जाएगी । 5जी की तकनीक की वजह से इंसान के साथ पृथ्वी के भी इको सिस्टम पर बुरा प्रभाव पड़ेगा ।'
जूही की याचिका में कहा गया है, 'हम नई तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ नहीं हैं। इसके उलट तकनीक की दुनिया जो हमे दे रही है, हम खुद उस नए प्रोडक्ट का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। इसमें वायरलेस कम्यूनिकेशन भी शामिल है। हालांकि हम लगातार पशोपेश में भी हैं। बिना तारों वाले (वायरफ्री) गैजेट्स और नेटवर्क सेल टावर्स से होने वाले आरएफ रेडिएशन को लेकर हमारे खुद के रिसर्च और स्टडी के बाद हमारे पास ये विश्वास करने के पर्याप्त कारण है कि रेडिएशन बहुत हानिकारक और लोगों की सुरक्षा सहित स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है।'
उन्होंने कहा कि स्टडी आगे निकल एविडेंस के मुताबिक कई लोग इसकी वजह से बीमार हुए हैं । साथ ही लोगों के डीएनए, स्पेशल ऑर्गन सिस्टम डैमेज हुए हैं। इससे गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह का भी खतरा होता है।
इस मामले में जूही चावला के प्रवक्ता ने कहा, 'हमने केस दर्ज किया है ताकि कोर्ट की नजर में यह मुद्दा आ सके । वह हमें बता सकें कि 5G इंसान, जानवरों औऱ पक्षियों सभी के लिए सुरक्षित है । वह इसपर रिसर्च करवाए और भारत में 5G का आना सुरक्षित होगा या नहीं , इस बात को बताएं । यदि पहले से इस तरह का कोई अनुसंधान नहीं हो रहा है तो इस मामले में बिना किसी निजी हित के रिसर्च कराई जाए और बताया जाए कि 5G तकनीक स्वास्थ्य के लिहाज से सुरक्षित है या नहीं।'