Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: विक्रांत मैसी की बेमिसाल परफॉर्मेंस और शनाया कपूर का डेब्यू, कैसी है ‘आँखों की गुस्ताखियां’?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 11, 2025 14:44 IST2025-07-11T14:43:49+5:302025-07-11T14:44:40+5:30

Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: खामोशियों, नजरों और भावनाओं के बीच जो रिश्ता पनपता है, वह शब्दों से परे जाकर दिल को छू जाता है।

Aankhon Ki Gustaakhiyan Review Shanaya Kapoor And Vikrant Massey's Chemistry Massey's stellar performance Kapoor's debut How | Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: विक्रांत मैसी की बेमिसाल परफॉर्मेंस और शनाया कपूर का डेब्यू, कैसी है ‘आँखों की गुस्ताखियां’?

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Highlightsविक्रांत मैसी ने एक बार फिर साबित किया है कि वो अपने किरदार में जान डाल सकते हैं। बिना आँखों के एक्सप्रेशन के भी उन्होंने भावनाएं जीवंत कर दीं।

Aankhon Ki Gustaakhiyan Review: ‘आँखों की गुस्ताखियां’ एक ट्रेन यात्रा में मिले दो अजनबियों की कहानी है। विक्रांत मैसी ने एक दृष्टिहीन संगीतकार की भूमिका निभाई है, जो संगीत के सहारे दुनिया को महसूस करता है। वहीं शनाया कपूर, जो थिएटर आर्टिस्ट बनी हैं, अपने सपनों की तलाश में हैं। इस छोटी सी यात्रा में खामोशियों, नजरों और भावनाओं के बीच जो रिश्ता पनपता है, वह शब्दों से परे जाकर दिल को छू जाता है।

अभिनय

विक्रांत मैसी ने एक बार फिर साबित किया है कि वो अपने किरदार में जान डाल सकते हैं। बिना आँखों के एक्सप्रेशन के भी उन्होंने भावनाएं जीवंत कर दीं।

शनाया कपूर अपने डेब्यू में फ्रेशनेस और मासूमियत लाती हैं। हालाँकि कुछ डायलॉग डिलीवरी कमजोर लगती है, पर उनकी उपस्थिति आकर्षक है।

दोनों की केमिस्ट्री फिल्म का दिल है — खासकर जब वो बिना बोले भी एक-दूसरे को समझते हैं।

निर्माता और निर्देशन

संतोष सिंह ने बेहद सादगी से इस कहानी को परदे पर पेश किया है। कैमरा मूवमेंट्स, ट्रेन की लोकेशन, और किरदारों की इमोशनल गहराई को बेहद प्रभावी तरीके से दिखाया गया है। हालाँकि पहले 30 मिनट थोड़े धीमे हैं, लेकिन दूसरा भाग इसे पूरी तरह से सँभाल लेता है। फिल्म को प्रोड्यूस किया है मानसी बागला और वरुण बागला ने, जो ओपन विंडो फिल्म्स और ज़ी स्टूडियोज़ के साथ मिलकर ऐसी कहानियों को परदे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो दिल से जुड़ती हैं। इनकी कोशिशों से 'आँखों की गुस्ताखियां' जैसी सादगी भरी, लेकिन असरदार कहानी को एक सजीव और भावनात्मक टच मिला है।

संगीत

विशाल मिश्रा का संगीत फिल्म की आत्मा है। टाइटल ट्रैक 'आँखों की गुस्ताखियां' जुबिन नौटियाल की आवाज़ में फिल्म को एक इमोशनल टोन देता है।

मनोज मुंतशिर के बोल दिल छूते हैं और बाकी गाने भी कहानी को बाधित नहीं करते, बल्कि संवारते हैं।

प्रोडक्शन क्वालिटी

ट्रेन के सीमित स्पेस में भी DOP ने खूबसूरत फ्रेम्स तैयार किए हैं। प्रोडक्शन डिज़ाइन रियलिस्टिक है और फिल्म की टोन के साथ मेल खाता है। एडिटिंग टाइट है, लेकिन पहले हाफ की स्पीड थोड़ी और तेज हो सकती थी।

"आँखों की गुस्ताखियां" एक ऐसी फिल्म है जो उन लोगों के लिए है जो इश्क़ में नज़रों की अहमियत को समझते हैं। यह फिल्म बताती है कि प्यार सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि एहसासों से भी किया जा सकता है। अगर आप meaningful love stories पसंद करते हैं, तो ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

निर्माता: मानसी बागला, वरुण बागला, विपिन अग्निहोत्री
निर्देशक: संतोष सिंह
बैनर: ज़ी स्टूडियोज़, मिनी फिल्म्स, ओपन विंडो फिल्म्स
कहानी: रस्किन बॉन्ड की लघुकथा The Eyes Have It पर आधारित
मुख्य कलाकार: विक्रांत मैसी, शनाया कपूर
संगीत: विशाल मिश्रा
गीतकार: मनोज मुंतशिर
गायक: जुबिन नौटियाल
रेटिंग: 3.5 

Web Title: Aankhon Ki Gustaakhiyan Review Shanaya Kapoor And Vikrant Massey's Chemistry Massey's stellar performance Kapoor's debut How

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