नवाज शरीफ के मामले में जरूरत से ज्यादा कठोर फैसला?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 21, 2018 07:18 AM2018-07-21T07:18:59+5:302018-07-21T07:18:59+5:30

नवाज शरीफ के पास इतना ज्यादा पैसा है कि वह जुर्माने की और भी बड़ी रकम चुका सकते थे.  सुप्रीम कोर्ट उलझन में थी. वह नहीं चाहती थी कि फौज को उकसाए और दूसरी ओर, वह नवाज शरीफ के साथ न्याय करना चाहती थी.

What do you think about Pakistan court verdict on EX-PM Nawaz Sharif | नवाज शरीफ के मामले में जरूरत से ज्यादा कठोर फैसला?

नवाज शरीफ के मामले में जरूरत से ज्यादा कठोर फैसला?

(कुलदीप नैयर)

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने जनता के मत से दो बार 10 साल के लिए प्रधानमंत्री चुने गए नवाज शरीफ को सजा दी. ऐसा लगता है कि एक बार फिर गैर-फौजी शासकों तथा फौज के बीच टकराव बढ़ रहा है. शायद लोगों ने मजबूती से अपनी बात रखनी शुरू कर दी है, यह फौज को पसंद नहीं आया. जाहिर है कि नवाज शरीफ खाकी वर्दी का समर्थन करने वालों के हाथों का औजार बनना नहीं चाहते थे. लगता है कि फौज को यह अनुमान हो गया था कि नवाज शरीफ की सरकार में वापसी हुई तो उसकी सत्ता के लिए चुनौती पैदा होगी.

नवाज शरीफ के पास इतना ज्यादा पैसा है कि वह जुर्माने की और भी बड़ी रकम चुका सकते थे.  सुप्रीम कोर्ट उलझन में थी. वह नहीं चाहती थी कि फौज को उकसाए और दूसरी ओर, वह नवाज शरीफ के साथ न्याय करना चाहती थी. इसलिए उसने उतनी सजा दी जितनी दे सकती थी, लेकिन कानून की हद में रहते हुए.

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मैंने नवाज शरीफ से लंदन के बीचोबीच स्थित आलीशान मकान में मुलाकात की थी. उनकी अमीरी से मुङो अचरज नहीं हुआ क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप के कई नेताओं के फ्लैट इंग्लैंड में हैं.  नवाज शरीफ ने मुङो नाश्ते पर बुलाया था. पाकिस्तान और सऊदी अरब में उनके परिवार के कई कारखाने हैं. इसलिए मुङो इससे कोई अचरज नहीं हुआ कि उनकी पत्नी और बेटी  के एक-एक फ्लैट लंदन में हैं. जहां तक शरीफ का सवाल है, उनके खिलाफ कोई अभियोग नहीं है.  आरोपों की सच्चाई का पता लगाना मुश्किल है. जब आखिरी शब्द फौज की ओर से ही आने हैं तो हर आरोप सही नहीं भी हो सकते हैं. 

लाहौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नवाज शरीफ से मुलाकात से एक नए अध्याय की शुरुआत होनी चाहिए थी. यात्र के बाद मोदी ने बयान  दिया कि इस तरह की बात अब सामान्य तौर पर होगी और वे एक-दूसरे के देश में बिना सरकारी शिष्टाचार के आते-जाते रहेंगे. यह पहले ही हो जाना चाहिए था. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दूरद्रष्टा थे जो इस तरह की बात सोच सकते थे. ऐसा लगा था कि मोदी उनकी राह पर चल रहे हैं क्योंकि लाहौर यात्र के बाद पहला काम उन्होंने यही किया कि वह वाजपेयी से मिले जो भाजपा में एक उदार चेहरा माने जाते थे. वह अब शारीरिक रूप से अक्षम हैं, लेकिन उन्होंने अपने हाव-भाव से बताया कि मोदी ने वही किया है जो कुछ वह खुद करते. मोदी के शासन में वह भावना दिखाई देनी चाहिए थी.

इसके बदले, नवाज शरीफ दस साल की सजा का सामना कर रहे हैं. लोग इसके कुछ ठोस सबूत देखना चाहेंगे कि नवाज शरीफ और उनके  परिवार ने भ्रष्टाचार किया था.

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