पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपा, तब उन्हें हर्गिज यह उम्मीद नहीं रही होगी कि भारत झुकने से इंकार करते हुए, उनकी मनमानी के सामने इतनी दृढ़ता से डटा रहेगा. इतना ही नहीं बल्कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुगलबंदी देखकर शायद वे सन्न रह गए हैं और उन्हें अहसास हो गया है कि भारत पर धौंस जमाने की उनकी कोशिश काम नहीं आने वाली है, उल्टा भारत-रूस-चीन का गठबंधन अगर मजबूत हुआ तो दुनिया से अमेरिका की दादागीरी खत्म होते देर नहीं लगेगी.
शायद इसीलिए उन्होंने अब फिर से प्रधानमंत्री मोदी को अपना सबसे अच्छा दोस्त बताते हुए उनसे बातचीत को लेकर उत्सुकता दिखाई है. लेकिन दूसरी तरफ वे अपनी कुटिलता से भी बाज नहीं आ रहे हैं और यूरोपीय संघ (ईयू) से यह आग्रह भी कर रहे हैं कि वह भारत और चीन पर सौ प्रतिशत टैरिफ लगा दे. जाहिर है कि पीठ में छुरा भोंकने की कोशिश करने वाले ऐसे धोखेबाज ‘दोस्त’ से भारत को सतर्क रहना होगा.
ट्रम्प शायद इस बात से भी चिढ़े हुए हैं कि उनके उकसाने के बावजूद भारत ने अपना संयम नहीं खोया है और उनके कटु प्रहारों का पूरी सज्जनता के साथ जवाब दे रहा है. अभी दो दिन पहले ही ट्रम्प के आर्थिक सलाहकार पीटर नवारो ने भारत को धमकाते हुए कहा था कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में बात माननी होगी, नहीं तो दिल्ली के लिए अच्छा नहीं होगा.
इसके पहले भी उन्होंने भारत के खिलाफ जहरीले बयान दिए हैं. चूंकि भारत ने संयमित लेकिन दृढ़ तरीके से अमेरिकी आरोपों का जवाब दिया है, इसलिए शायद ट्रम्प को समझ में आ गया है कि उनकी धौंस-दपट का भारत पर असर पड़ने वाला नहीं है. इसीलिए अब वे दोस्ती का दिखावा कर रहे हैं. लेकिन भारत ने उनकी इस पहल का भी पूरी शालीनता से ही जवाब दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के बयान पर गर्मजोशी से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं भी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से बातचीत के लिए उत्सुक हूं. हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे.
यह वार्ता साझेदारी की संभावनाओं को तलाशने का मार्ग प्रशस्त करेगी.’’ ध्यान देने की बात यह है कि मोदी अब ट्रम्प के लिए भूलकर भी ‘दोस्त’ शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. दरअसल ट्रम्प ने अपनी बचकानी हरकतों से साबित कर दिया है कि वे दोस्ती के काबिल हर्गिज नहीं हैं और उनके सनकी स्वभाव पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता. कहावत है कि मूर्ख दोस्त से समझदार दुश्मन अच्छा होता है. इसलिए ट्रम्प के दोस्ती के ढोंग से भी भारत को संभल कर ही रहना होगा.