Trump-Zelensky row: वाजिब है राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का क्रोधित होना?

By विकास मिश्रा | Updated: March 4, 2025 05:48 IST2025-03-04T05:47:15+5:302025-03-04T05:48:31+5:30

Trump-Zelensky row: अमेरिका का हर राष्ट्रपति खुद को तुर्रम खां समझता है और ट्रम्प तो और भी तीखे तेवर में हैं.

Trump-Zelensky row reasonable for President Volodymyr Zelensky to be angry? blog Vikas Mishra | Trump-Zelensky row: वाजिब है राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का क्रोधित होना?

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Highlightsभयानक तेवर दिखाए हैं लेकिन किसी ने भी जेलेंस्की जैसी हिम्मत नहीं दिखाई!देश नहीं बेचेंगे. यह कितनी विचित्र बात है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया.यूक्रेन की सहमति और सहभागिता के बगैर जंग कैसे रुक सकती है और शांति कैसे आ सकती है?

Trump-Zelensky row: दुनिया तो यह मान कर ही चल रही थी कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के सामने  ट्रम्प की शर्त मान लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ट्रम्प को अपनी चाल पर भी बहुत भरोसा था. जेलेंस्की अमेरिका पहुंचे भी लेकिन उन्होंने जो तेवर दिखाए, वो कोई आसान काम नहीं था. अमेरिका का हर राष्ट्रपति खुद को तुर्रम खां समझता है और ट्रम्प तो और भी तीखे तेवर में हैं.

अपनी दूसरी पारी में वे अब तक जिन राष्ट्राध्यक्षों से भी मिले हैं, भयानक तेवर दिखाए हैं लेकिन किसी ने भी जेलेंस्की जैसी हिम्मत नहीं दिखाई! जेलेंस्की बेशक कमजोर स्थिति में हैं लेकिन उन्होंने फिलहाल अपने तेवर दिखाकर खुद के इस वादे को मजबूत किया है कि वे देश नहीं बेचेंगे. यह कितनी विचित्र बात है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया.

इस वक्त रूस और यूक्रेन में जंग चल रही है लेकिन जंग खत्म कराने के लिए ट्रम्प की पहल पर जो पहली बैठक हुई, उसमें यूक्रेन का कोई प्रतिनिधि तक नहीं था! जेलेंस्की का क्रोधित होना वाजिब था इसलिए उन्होंने कहा भी कि यूक्रेन की सहमति और सहभागिता के बगैर जंग कैसे रुक सकती है और शांति कैसे आ सकती है?

लेकिन ट्रम्प तो यह मान कर चल रहे हैं कि अमेरिका की मदद के बगैर रूस से लड़ने की ताकत यूक्रेन में नहीं है. बात काफी हद तक सही भी है. अमेरिका और यूरोप ने यदि यूक्रेन का साथ नहीं दिया होता तो रूस उसे कब का हजम कर गया होता. मदद के लिए अमेरिका इसलिए सामने आया क्योंकि अमेरिकी नीति साम्राज्यवाद के खिलाफ रही है.

वह खुद को लोकतंत्र का स्वयंभू रक्षक मानता रहा है. इसलिए जहां भी उसके हिसाब से लोकतंत्र खतरे में होता है, वहां वह बिना बुलाए पहुंच जाता है. रूस के हमले के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने वही किया जो अमेरिका की नीति रही है. यूक्रेन को बड़े पैमाने पर हथियार और अन्य सहायता उपलब्ध कराई.

लेकिन ट्रम्प की सोच बिल्कुल अलग है. वे यह मानकर चलते हैं कि यूक्रेन की मदद करना अमेरिका की गलती थी. उनके हिसाब से अभी तक इस जंग में अमेरिका 500 बिलियन डॉलर की सहायता यूक्रेन को दे चुका है. वे यह भी मानते हैं कि यह जंग जेलेंस्की की ‘सनक’ के कारण हुई. यानी वे यह मान कर चल रहे हैं कि इसमें रूस की कोई गलती नहीं है!

है न विचित्र बात! लेकिन ट्रम्प को यह सब विचित्र नहीं लगता क्योंकि वे तो फिलहाल इस जुगाड़ में हैं कि अमेरिका के 500 बिलियन डॉलर कैसे वापस आ जाएं. जब राष्ट्रीय नीति व्यापार की नीति में तब्दील हो जाए तो ऐसी सोच पैदा होना स्वाभाविक है.  ट्रम्प ने यह बात छिपाई भी नहीं! खुल्लमखुल्ला कहा कि यूक्रेन के जिन इलाकों पर रूस ने कब्जा कर लिया है, वहां मौजूद रेयर अर्थ एलिमेंट निकालने का अधिकार अमेरिका को मिलना चाहिए. यह बात जेलेंस्की को जंची नहीं और उन्होंने साफ कह दिया कि वे देश बेचने वालों में से नहीं हैं.

कमाल देखिए कि ट्रम्प के इस प्रस्ताव पर रूस ने हामी भी भर दी कि यदि अमेरिका रेयर अर्थ मिनरल उसके कब्जे वाली जमीन से निकालता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है! चूंकि यूक्रेन जंग से बुरी तरह बर्बाद हुआ है इसलिए जेलेंस्की भी चाह रहे थे कि कोई सम्मानजनक समझौता हो जाए और जंग समाप्त हो. उन्होंने कहा भी कि यदि सम्मान के साथ कोई समझौता होता है तो पद भी छोड़ने को तैयार हैं.

जंग खत्म हो लेकिन यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए लेकिन इस मसले पर ट्रम्प बात करने को ही तैयार नहीं हैं. जेलेंस्की पर जबर्दस्त दबाव था इसलिए यह माना जाने लगा और विश्व मीडिया में यह प्रचारित भी किया गया कि जेलेंस्की अमेरिका आ रहे हैं और रेयर अर्थ मिनरल के समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं.

रेयर अर्थ मिनरल्स के बारे में सामान्य रूप से यह समझिए कि यह खनिज आधुनिक तकनीक के सभी साधनों में काम आता है, चाहे वो इलेक्ट्रिक कार हो या फिर आधुनिक हथियार. रेयर अर्थ मिनरल्स की करीब 70 प्रतिशत वैश्विक आपूर्ति अभी चीन करता है. ट्रम्प की चाहत है कि यूक्रेन का भंडार यदि उन्हें मिल जाए तो चीन के दबदबे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

माना जाता है कि पूरे यूरोप में लीथियम का जितना भंडार है, उसका एक तिहाई हिस्सा अकेले यूक्रेन के पास है. ऐसे और भी तत्व हैं जिनका भंडार यूक्रेन के पास है. दरअसल ट्रम्प की नजर इन्हीं भंडारों पर हैं.
जेलेंस्की इन खनिजों को लेकर शायद अमेरिका के साथ समझौते पर सहमत भी हो जाते लेकिन रूस के एक बयान ने उन्हें बौखला दिया.

वे समझ गए कि ट्रम्प और पुतिन मिलकर बड़ा षड्यंत्र रच रहे हैं. रूस की तरफ से बयान आया कि जो क्षेत्र अब रूस का हिस्सा बन चुका है उसे छोड़ने पर कोई बातचीत संभव ही नहीं है. याद कीजिए कि 2014 में रूस ने हमला करके यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से वह न केवल कई इलाकों पर कब्जा कर चुका है बल्कि  जापोरिज्जिया, दोनेत्स्क, खेरसॉन एवं लुहांस्क इलाके के रूस में विलय की घोषणा भी कर चुका है.

जेलेंस्की समझ गए कि रूस उनके देश की जमीन हड़प लेगा और अमेरिका जमीन के भीतर से 500 बिलियन डॉलर के बहुमूल्य खनिज निकाल लेगा. दोनों की बल्ले-बल्ले होगी और यूक्रेन हाथ मलता रह जाएगा. जेलेंस्की का जमीर अभी जिंदा है इसलिए उन्होंने ट्रम्प से टकराने की हिम्मत दिखाई. वे जानते हैं कि ट्रम्प के आगे उनकी कोई हैसियत नहीं लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि उनका देश उन्हें एक साहसी और देशभक्त नेता के रूप में हमेशा याद करेगा.  

Web Title: Trump-Zelensky row reasonable for President Volodymyr Zelensky to be angry? blog Vikas Mishra

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