लाइव न्यूज़ :

मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट की विरासत और लाड़ली बहनों की ताकत

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 30, 2025 07:09 IST

तमिलनाडु के अड्यार में शिक्षाविद मार्गरेट कजिंस ने निशातुन्निसा मोहानी, सरला नाईक, हेराबाई टाटा समेत कई विदुषियों के साथ भारतीय महिला संघ (डब्ल्यूआईए) बनाया

Open in App

सुनील सोनी

मैरिल स्ट्रीप ने 2017 में गोल्डन ग्लोब के मंच से कहा था कि अनादर से अनादर और हिंसा से हिंसा पनपती है, तब वे ट्रम्प जैसे श्वेत नस्ल की श्रेष्ठता के दंभ से भरे तानाशाह के निर्वाचन चुनौती दे रही थीं. ‘सफ्रेजेट्स’ में एमिलिन पंकहर्स्ट की भूमिका में दो साल पहले ही वे इस फितरत को चुनौती दे चुकी थीं. ‘लाड़ली बहनों’ को शायद ही पता हो कि एमिलिन ने दो सदियों से जारी महिला मताधिकार की लड़ाई को नतीजे तक पहुंचाया था, ताकि पुरुषवादी समाज के नेता उन्हें छल न सकें.

यह लड़ाई तब शुरू हुई थी, जब फ्रांसीसी क्रांति के बावजूद 1789 में ‘मानव व नागरिक अधिकारों के घोषणापत्र’ में भी महिला अधिकारों का जिक्र तक नहीं था. मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट ने ‘राइट्स ऑफ मेन’ लिखकर इसे चुनौती दी, तो बहस छिड़ गई. 1792 में मैरी ने ‘ए विंडीकेशन ऑफ द राइट्स ऑफ वुमन’ लिखकर बताया कि कैसे पितृृसत्तात्मक समाज अपनी सहूलियत से महिलाओं का इस्तेमाल करता है.

उन्हें बुद्धिहीन मानता है, अशिक्षित, दोयम बनाए रखता है. खुद मैरी ने रोमांचक जिंदगी जी और 38 की उम्र में बेटी (‘फ्रैंकस्टीन’ की लेखिका मैरी शैली) को जन्म देते ही चल बसीं. तत्कालीन ‘गणतंत्र’ के कुलीन सत्ताधीश इतने असहज थे कि निंदा अभियान चलाकर उन्हें भुला दिया गया. लेकिन, जेन ऑस्टिन ने हर उपन्यास में उनकी छाप दिखाई.

पुरुषों के सार्वभौम मताधिकार की मांग के तकरीबन सौ साल बाद 1840 में चार्टिस्ट आंदोलन ने महिलाओं के लिए यही मांग उठाई और 1850 में जॉन स्टुअर्ट मिल ने पत्नी हैरियट के साथ अभियान छेड़ा. 1865 में मैनचेस्टर में पहली महिला मताधिकार समिति बनने के बाद ब्रिटेन के हर शहर में समितियां बनीं और संसद में 30 लाख लोगों ने याचिका देकर कानून बनाने की मांग की. ब्रिटिश संसद उन्हें उन्हीं तर्कों से खारिज कर रही थी, जो प्राचीन यूनान या रोम ‘गणतंत्र’ में सदियों पहले से दिए जा रहे थे.

वर्जीनिया वुल्फ और एम्मा गोल्डमैन ने तब याद दिलाया कि मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट क्यों दुनिया की सारी स्त्रियों की पूर्वज हैं. 1897 में सारी समितियां राष्ट्रीय महिला मताधिकार समिति संघ के बैनर तले एकजुट हो गईं, पर सुनवाई नहीं हुई, तो 1903 में एमिलिन ने ‘सैफ्रेजेट’ को उग्र आंदोलन बना दिया, जिसमें निर्वासित महाराजा दलीप सिंह की बेटी सोफिया भी शामिल रहीं. उसी दौर में अमेरिका में भी दासप्रथा विरोधी आंदोलन में ही महिला मताधिकार की मांग भी तब शामिल हो गई, जब ल्यूक्रेशिया मॉट ने एलिजाबेथ कैडी स्टैंटन की बात मान ली.

नतीजा यह कि 1869 में व्योमिंग में महिलाओं को सभी चुनावों में वोट देने का हक मिल गया. उसी साल लूसी स्टोन की अमेरिकन वुमन सफरेज एसोसिशएन ने नेशनल वुमन सफरेज एसोसिएशन के साथ मिलकर अगले 30 साल आंदोलन चलाया. अंतत: अमेरिका में भी ब्रिटेन की तरह 1918 में केवल कुलीन महिलाओं को वोट देने का हक मिला. 20वीं सदी की शुरुआत में यह आग न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, नार्वे तक सुलग गई.

भारत में सार्वभौम महिला मताधिकार 1950 में ही मिल पाया, क्योंकि लड़ाई देर से, 1917 में शुरू हुई. तमिलनाडु के अड्यार में शिक्षाविद मार्गरेट कजिंस ने निशातुन्निसा मोहानी, सरला नाईक, हेराबाई टाटा समेत कई विदुषियों के साथ भारतीय महिला संघ (डब्ल्यूआईए) बनाया. अगले तीन दशकों तक स्वतंत्रता संग्राम के समानांतर समान महिला मताधिकार के आंदोलन की मशाल को सरोजिनी नायडू, सरलादेवी चौधरानी, नलिनी दलवी, लक्ष्मी राजवाड़े, कमला किबे, मोहनी, श्रीरंगम्मा, मुथुलक्ष्मी रेड्डी, दुर्गा देशमुख, मालती पटवर्धन, रमा रानाडे, अवंतिका गोखले, उमा नेहरू, बेगम जहांआरा, बचु लोटवाला, मेहर टाटा, मिथन लाम, विजयलक्ष्मी पंडित, मृदुला साराभाई जैसी सैकड़ों नायिकाओं ने थामे रखा.

1919 से 1929 के बीच प्रांतों-रियासतों में महिलाओं को निर्वाचन अधिकार मिले. 1923 में पहली बार राजकोट से विधान परिषद में दो महिलाएं चुनी गईं. 1928 में साइमन कमीशन की जवाबी ‘नेहरू रिपोर्ट’ ने महिलाओं को समान अधिकारों की सिफारिश की, पर भारत सरकार अधिनियम-1935 में निचले सदन में सिर्फ 2.5% सीटें आरक्षित कर उच्च सदन से महिलाओं को बाहर कर दिया गया.

1946 में संविधान सभा के चुनाव में 15 महिलाएं जीतीं और सभा ने सबसे पहले बिना भेदभाव सबको मताधिकार के मसौदे पर काम किया. 26 जनवरी 1950 को संविधान के साथ ही वे लागू हुए. महिला वोट के अधिकार का कठिन संग्राम शायद अब ‘सही वोट’ का संग्राम बने.

टॅग्स :महिलानारी सुरक्षामहिला आरक्षण
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टमां नहीं हैवान! बेटे समेत 4 बच्चों को बेरहमी से मारा, साइको लेडी किलर ने बताई करतूत; गिरफ्तार

भारतपोस्ट ऑफिस की ये 6 सेविंग स्कीम हर महिला के लिए जरूरी, चेक करें एलिजिबिलिटी और इंटरेस्ट रेट

भारतSupreme Court: बांग्लादेश से गर्भवती महिला और उसके बच्चे को भारत आने की अनुमति, कोर्ट ने मानवीय आधार पर लिया फैसला

भारतजलवायु परिवर्तन का शिकार होती महिलाएं 

विश्वअपने ही दे रहे धोखा?, 2024 में 83000 हत्या, हर 10 मिनट में 1 महिला या लड़की की साथी या परिजन द्वारा हत्या, संयुक्त राष्ट्र आंकड़े

विश्व अधिक खबरें

विश्वअड़चनों के बीच रूस के साथ संतुलन साधने की कवायद

विश्वलेफ्ट और राइट में उलझा यूरोप किधर जाएगा?

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

विश्वएलन मस्क की चिंता और युद्ध की विभीषिका

विश्व'इमरान खान ज़िंदा और ठीक हैं': पाकिस्तान के पूर्व पीएम की बहन ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में उनसे मिलने के बाद दिया बयान | VIDEO