ब्लॉग: तालिबानी राज के दो साल बाद अफगानिस्तान में हालात बदतर

By शोभना जैन | Published: August 19, 2023 03:41 PM2023-08-19T15:41:59+5:302023-08-19T16:05:40+5:30

एक विशेषज्ञ के आकलन के अनुसार फिलहाल तालिबान को अपनी ताकत को चुनौती देने वाला कोई नजर नहीं आता है। अर्थव्यवस्था के बुरे हाल में होने के बावजूद, तालिबान ने देश को किसी तरह थाम रखा है।

Situation worsens in Afghanistan after two years of Taliban rule | ब्लॉग: तालिबानी राज के दो साल बाद अफगानिस्तान में हालात बदतर

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsतालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा किए हुए दो साल हो गए है। ऐसे में तालिबान ने 15 अगस्त को अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाई है। तालिबान के कब्जे के दौरान अफगानिस्तान में महिलाओं से लगभग सभी अधिकार छिन लिए गए है।

काबुल:अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन ने वहां अमेरिका और नाटो समूह की दो दशकों की मौजूदगी के बाद देश पर अपना कब्जा कर लेने की दूसरी वर्षगांठ गत 15 अगस्त को धूम-धड़ाके से मनाई, इस मौके पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया. 

तालिबान ने छिने महिलाओं के सभी अधिकार

लेकिन अफगानिस्तान पर कब्जे के वक्त विश्व समुदाय से किए गए तमाम वादों की धज्जियां उड़ाकर इस बार भी तालिबान-2 ने महिलाओं के सारे अधिकार छीन लिए हैं. इन औरतों और मासूम बच्चियों ने तमाम आशंकाओं के बावजूद उन अंधेरी रातों में उम्मीद की जो लौ जला रखी थी, वह धीरे-धीरे बुझती जा रही है. आम नागरिक आर्थिक तबाही के बीच दो जून की रोटी तक न जुटा पाने की बेबसी झेल रहा है. 

दुनिया ने तालिबान से कैसे रिश्ते रखे है

हालांकि दुनिया के किसी भी देश ने तालिबान सरकार को अभी तक मान्यता नहीं दी है, अलबत्ता भारत सहित कई देशों ने समावेशी सरकार की जरूरत पर बल देते हुए वहां विकास कार्यों को जनहित की भावना से जारी रखते हुए तालिबान शासन के साथ कामकाजी रिश्ते बहाल किए हैं. 

अमेरिकी और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद सत्ता में लौटने वाले तालिबान ने अपनी जड़ें अच्छे से जमा ली हैं. लेकिन सवाल है कि लगातार बदतर होते हालात और अनिश्चय की स्थिति के बाद आगे का रास्ता क्या है?

तालिबान पर क्या कहते है जानकार

एक विशेषज्ञ के आकलन के अनुसार फिलहाल तालिबान को अपनी ताकत को चुनौती देने वाला कोई नजर नहीं आता है. अर्थव्यवस्था के बुरे हाल में होने के बावजूद, तालिबान ने देश को किसी तरह थाम रखा है. अमीर देशों से निवेश की बातचीत भी चल रही है. 

यह तब है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान को औपचारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है. जहां तक आंतरिक सुरक्षा का सवाल है, इस्लामिक स्टेट जैसे हथियारबंद गुट पर लगाम लगाने की कोशिशों के साथ ही तालिबान ने भ्रष्टाचार और अफीम उत्पादन से जूझने का दावा भी किया है.

भारत के साथ कैसे है तालिबान के रिश्ते

अगर भारत के साथ तालिबानी रिश्तों की बात करें तो भारत को सावधानीपूर्वक वहां ‘प्रमुख स्टेक होल्डर’ बने रहना चाहिए. इसका एक लाभ यह भी होगा कि अफगानिस्तान में रहकर भारत विरोधी आतंकी गतिविधियां चलाने वाले आतंकी तत्वों पर लगाम लगाई जा सकेगी.

तालिबान से बिफरा हुआ है पाकिस्तान

वैसे भी कभी तालिबान का बड़ा खैरख्वाह रहा पाकिस्तान अब तालिबान से बिफरा हुआ है, वह वहां सक्रिय आतंकी तत्वों को अपने आतंकी संगठनों को शह देने का आरोप लगा रहा है. उधर अफगानिस्तान अब चीन, रूस जैसे ताकतवर देशों और अनेक इस्लामी देशों से भी निवेश के लिए तालमेल बिठाने की कोशिश में जुटा है. अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेसी में समीकरण कब बदल जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है.
 

Web Title: Situation worsens in Afghanistan after two years of Taliban rule

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे