लाइव न्यूज़ :

निर्थक रही शंघाई सहयोग संगठन की बैठक, वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: November 12, 2020 16:17 IST

चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशिया के चार गणतंत्रों के नेता अपनी दूरस्थ बैठक में अपना-अपना राग अलापते रहे और कोई परस्पर लाभदायक बड़ा फैसला करने की बजाय नाम लिए बिना एक-दूसरे की टांग खींचते रहे.

Open in App
ठळक मुद्देसंयुक्त राष्ट्र 75 साल का होने के बावजूद अभी तक अपने घुटनों पर ही रेंग रहा है तो कैसे दौड़ने लायक बनाया जाए ? किसी राष्ट्र पर शब्दबाण नहीं छोड़े बल्कि ऐसे संगठनों की बैठकों में परस्पर शब्दबाण चलाने का उन्होंने विरोध किया.ऐसे संगठनों का लक्ष्य होता है. यह सावधानी रूस के व्लादिमीर पुतिन ने भी बरती.

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में वही हुआ, जो अक्सर दक्षेस (सार्क) की बैठकों में होता है. चीन, रूस, पाकिस्तान और मध्य एशिया के चार गणतंत्रों के नेता अपनी दूरस्थ बैठक में अपना-अपना राग अलापते रहे और कोई परस्पर लाभदायक बड़ा फैसला करने की बजाय नाम लिए बिना एक-दूसरे की टांग खींचते रहे.

बैठक तो उन्होंने की थी, संयुक्त राष्ट्र के 75 साल पूरे होने के अवसर पर लेकिन उनमें से पुतिन, शी या इमरान आदि में से किसी ने भी यह नहीं कहा कि संयुक्त राष्ट्र 75 साल का होने के बावजूद अभी तक अपने घुटनों पर ही रेंग रहा है तो कैसे दौड़ने लायक बनाया जाए ?

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात की शाबाशी दी जा सकती है कि उन्होंने अपने भाषण में किसी राष्ट्र पर शब्दबाण नहीं छोड़े बल्कि ऐसे संगठनों की बैठकों में परस्पर शब्दबाण चलाने का उन्होंने विरोध किया. यही ऐसे संगठनों का लक्ष्य होता है. यह सावधानी रूस के व्लादिमीर पुतिन ने भी बरती.

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की तारीफ करते हुए बताया कि भारत ने उसकी शांति सेना के साथ अपने सैनिकों को दुनिया के 50 देशों में भेजा है और कोरोना से लड़ने के लिए लगभग 150 देशों को दवाइयां भिजवाई हैं. मोदी ने मध्य एशियाई राष्ट्रों के साथ भारत के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों का भी जिक्र  किया. क्या ही अच्छा होता कि वे दक्षेस के सरकारी संगठन के मुकाबले एक दक्षिण और मध्य एशियाई राष्ट्रों की जनता का जन-दक्षेस खड़ा करने की बात करते. मैं स्वयं इस दिशा में सक्रिय हूं.

चीन के नेता शी जिन पिंग ने अपने भाषण में नाम लिए बिना अमेरिकी दखलंदाजी को आड़े हाथों लिया लेकिन इमरान खान वहां भी चौके-छक्के लगाने से नहीं चूके. उन्होंने फ्रांस को दुखी करने वाले इस्लामी कट्टरवाद की पीठ तो ठोंकी ही, भारत पर पत्थरबाजी करने से भी वे बाज नहीं आए.

भारत का नाम तो उन्होंने नहीं लिया लेकिन कश्मीर का मसला उठाकर उन्होंने आत्म-निर्णय की मांग की, नागरिकता संशोधन कानून और कई सांप्रदायिक मसलों का जिक्र  किया.  पेरिस के हत्याकांड पर उनका शुरु आती बयान काफी संतुलित था, लेकिन पश्चिम और मध्य एशिया के मुसलमानों की लीडरी के खातिर उन्होंने इस मंच का इस्तेमाल कर लिया.

टॅग्स :रूसपाकिस्तानदिल्लीचीनव्लादिमीर पुतिननरेंद्र मोदीइमरान खानशी जिनपिंग
Open in App

संबंधित खबरें

भारतVIDEO: पीएम मोदी ने गुवाहाटी में भारत के पहले नेचर-थीम वाले एयरपोर्ट टर्मिनल का किया उद्घाटन

भारतकर्नाटक नेतृत्व मुद्दा: दिल्ली कब बुलाया जाएगा?, डीके शिवकुमार ने कहा-मैं आपको सूचित करूंगा, बिना बताए कुछ नहीं करूंगा

विश्वतोशाखाना भ्रष्टाचार मामलाः पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पत्नी बुशरा बीबी को 17-17 साल के कारावास की सजा, एक-एक करोड़ रुपये जुर्माना

क्रिकेटआईएलटी20 इतिहास में पहली बार, दुबई कैपिटल्स ने शारजाह वॉरियर्स को 63 रन से हराया, मोहम्मद नबी ने किया कारनामा, 19 गेंद, 38 रन के बाद 4 ओवर में झटके 3 विकेट

भारतDelhi Fog: दिल्ली में छाया घना कोहरा, 100 से ज्यादा उड़ानें रद्द, यात्रियों के लिए जारी एडवाइजरी

विश्व अधिक खबरें

विश्वVIDEO: बांग्लादेश के ढाका में उस्मान हादी के जनाज़े में भारी हुजूम, मुहम्मद यूनुस भी मौजूद

विश्वTaiwan: ताइपे में अज्ञात ने चाकू से हमला कर 3 लोगों की ली जान, संदिग्ध की इमारत से गिरकर मौत

विश्वBangladesh Violence: ढाका में आज युवा नेता उस्मान हादी को दफनाया जाएगा, अंतरिम सरकार ने लोगों से की शांति की अपील

विश्वअमेरिकी सेना ने सीरिया में किए हवाई हमले, ISIS के दर्जनों ठिकानों को बनाया निशाना

विश्वBangladesh Protests: तुम कौन हो, मैं कौन हूं - हादी, हादी, बांग्लादेश में प्रदर्शन तेज, करोड़ों का नुकसान, वीडियो