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राजेश बादल का ब्लॉग: आत्मघाती मुद्रा में क्यों है आज का पाकिस्तान?

By राजेश बादल | Updated: April 15, 2020 06:37 IST

कमोबेश सारे पड़ोसियों को हिंदुस्तान अपनी सामर्थ्य के मुताबिक हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन भेज रहा है. यहां जब बच्चा-बच्चा कोरोना से लड़ाई का संकल्प ले रहा है तो एक मुल्क पाकिस्तान ऐसा भी है, जो अपने नागरिकों को मुसीबत में छोड़कर सीमा पर फौज की तैनाती से युद्ध के हालात बना रहा है.

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सारी दुनिया इन दिनों कोरोना से जंग लड़ रही है. भारतीय उपमहाद्वीप के सारे मुल्क भी इस आकस्मिक आफत से जूझ रहे हैं. अपवाद छोड़ दें तो संसार की सबसे बड़ी आबादी धीरज से लॉकडाउन में रह रही है. भारत ने अभी तक अपना सारा जोर लगाकर इस खौफनाक जिन्न को बोतल से बाहर नहीं निकलने दिया है.

इतनी विविधता भरे देश में यह प्रभावी नियंत्नण एक चमत्कार से कम नहीं है. कमोबेश सारे पड़ोसियों को हिंदुस्तान अपनी सामर्थ्य के मुताबिक हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन भेज रहा है. यहां जब बच्चा-बच्चा कोरोना से लड़ाई का संकल्प ले रहा है तो एक मुल्क ऐसा भी है, जो अपने नागरिकों को मुसीबत में छोड़कर सीमा पर फौज की तैनाती से युद्ध के हालात बना रहा है.

पाकिस्तान के राजनयिक और कूटनीतिक जानकार कह रहे हैं कि कोरोना से बेबस प्रधानमंत्नी इमरान खान लोगों का ध्यान कश्मीर के मसले पर घसीटना चाहते हैं, जिससे अवाम उन्हें अपने गुस्से का निशाना न बनाए. मुल्क कोरोना से निपटने में कितना असहाय है - इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट को वजीरे आजम के स्वास्थ्य सलाहकार को हटाने का निर्देश देना पड़ा. कोर्ट ने पाया कि पाकिस्तान में लॉकडाउन का पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है.

लोग बाजार से खरीदी कर रहे हैं, मस्जिदों में नमाज पढ़ी जा रही है और सरकार भ्रम व दुविधा का शिकार है. दूसरी तरफ इमरान खान पूरे देश को टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश में कहते हैं कि पाकिस्तान में कोई लॉकडाउन कामयाब नहीं हो सकता क्योंकि रोज मजदूरी करने वाले और गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी. अवाम के लिए उनका यह संदेश हैरत में डालने वाला है. साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोग कोरोना का शिकार बन चुके हैं.

करीब सौ लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और संक्रमण तेजी से नए-नए इलाकों में फैलता जा रहा है. लॉकडाउन एक तरह से नाकाम साबित हो रहा है. प्रधानमंत्नी समेत तमाम अधिकारी न तो सार्वजनिक बैठकों से परहेज कर रहे हैं और न ही अब तक किसी ने उन्हें मास्क लगाए देखा है.  

ऐसी सूरत में एक देश के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता क्या होनी चाहिए? सारी दुनिया के साथ-साथ कोरोना से जंग में शामिल हो या अपनी सेना को कश्मीर की सीमा पर हिंदुस्तान से गोलीबारी के लिए तैनात कर दे? बीते सप्ताह पाकिस्तान ने भारतीय रिहायशी इलाकों में अकारण गोलीबारी शुरू कर दी. कुछ भारतीय नागरिक मारे गए.

इसके बाद विवश होकर भारतीय सेना को भी अपने हथियार खोलने पड़े. अब कश्मीर के नागरिक दोहरी मार ङोल रहे हैं. एक तरफ कोरोना उन्हें निशाना बना रहा है तो दूसरी ओर पाकिस्तान की गोलीबारी से त्नस्त गांव वाले अपने ठिकानों से पलायन करने पर मजबूर हैं. गुजरात जल सीमा पर भी मछुआरों की दो नावों पर पाकिस्तानी नौसेना ने बेवजह फायरिंग शुरू कर दी. वे नावों को भी अपने साथ ले गए. इसमें एक भारतीय मछुआरा गंभीर रूप से घायल हो गया.

भारत के कड़े विरोध के बाद नावें वापस लौट सकीं. गुजरात सरकार ने दो दिन पहले ही लंबे लॉकडाउन के बाद मछुआरों को समंदर में मछली पकड़ने की छूट दी थी. कोरोना संकट के चलते हजारों मछुआरों के परिवारों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था.

ऐसे अवसर पर पाकिस्तान का यह क्रूर और अमानवीय चेहरा विश्व समुदाय में उसकी किरकिरी का सबब बनता जा रहा है. भारत ने तो सार्क के सदस्य देशों से कोरोना से लड़ने के लिए साझा संघर्ष की अपील की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इससे अपने को अलग कर लिया. अपने जन्म के बाद सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा यह पड़ोसी देश अपने नागरिकों के सामने कश्मीर संकट का राग अलाप रहा है. उसके इस व्यवहार पर तो खुद पाकिस्तानी मीडिया सवाल खड़े कर रहा है.

उसका कहना है कि अगर सवा सौ करोड़ की आबादी वाला हिंदुस्तान अपनी आबादी को इस संक्रामक बीमारी से बचा रहा है तो हम उससे सहायता क्यों नहीं मांगते? हिंदुस्तान तो सारे पड़ोसियों को दवा से लेकर सारी मदद दे रहा है और हम उसे सीमा से गोलियां भेज रहे हैं. इसका मकसद क्या है. पाकिस्तानी चैनलों में जानकार यह सवाल भी कर रहे हैं कि अगर दोनों देशों में जंग छिड़ भी गई तो क्या हम उसे दो-चार दिन भी खींच सकेंगे? फिर अनावश्यक गोलीबारी क्यों?  

आंकड़ों पर भरोसा करें तो बीते दो साल में युद्धविराम का सबसे अधिक उल्लंघन पाकिस्तान ने किया है. मार्च में समूचे संसार ने कोरोना का भयावह रूप देखा और इसी एक महीने में पाकिस्तानी सेना ने 411 बार हमारी सीमा में गोले बरसाए हैं. पिछले बरस इसी महीने में 267 बार इस पड़ोसी ने सीजफायर तोड़ा है. अगर इस आंकड़े को जनवरी से देखें तो कुल 1197 बार सीमा रेखा पर आग उगलने का काम किया गया. बाकी दो महीनों में 786 बार पाकिस्तानी बंदूकें हमारी ओर गरजी हैं. जब-जब पाकिस्तान ने यह हरकत की, भारतीय सुरक्षा बलों ने करारा उत्तर दिया है और भारत की इस जवाबी कार्रवाई पर पाकिस्तानी आंकड़े कहते हैं कि भारत ने 705 बार युद्धविराम का उल्लंघन किया है.

यानी हर महीने औसतन 235 बार. इस तरह हमारी कार्रवाई तो पूरी तरह सुरक्षात्मक ही कही जानी चाहिए. आर्थिक नजरिये से कंगाली का सामना कर रहा यह राष्ट्र दिवालिया होने के कगार पर है. नागरिकों को दो जून की रोजी-रोटी मुहाल है. सुप्रीम कोर्ट सरकार से कोरोना से लड़ने की कैफियत मांग रहा है और हुकूमत-ए-पाकिस्तान बगलें झांक रही है. दशकों से पाकिस्तान इस मौसम का लाभ लेता रहा है.

कश्मीर बर्फ से ढंका होता है और मार्च-अप्रैल में बर्फ पिघलनी शुरू हो जाती है. बदलते मौसम का लाभ लेकर पाक सीमा पार से आतंकवादियों को भारत में चुपचाप दाखिल करने के कुचक्र  रचता रहा है. अपने घर में लगी आग को भूल पाकिस्तान अभी भी सुधरने के लिए तैयार नहीं है.

 

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