आतंकवाद की आग भड़काने वाला पाक अब खुद झुलस रहा

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 13, 2025 12:14 IST2025-03-13T12:13:46+5:302025-03-13T12:14:21+5:30

पाकिस्तान ने उस समय इस मांग को मान भी लिया था. लेकिन बाद में मार्च 1948 में उसने हमला करके बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया था

Pakistan which ignited the fire of terrorism is now burning itself | आतंकवाद की आग भड़काने वाला पाक अब खुद झुलस रहा

आतंकवाद की आग भड़काने वाला पाक अब खुद झुलस रहा

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के लड़ाकों द्वारा ट्रेन हाईजैक किए जाने की घटना ने पूरी दुनिया में पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी है. एक तरफ तो पाकिस्तान कश्मीर का रोना रोता है और दूसरी तरफ अपने सबसे बड़े प्रांत के निवासियों पर ही इतना अत्याचार कर रहा है कि वहां के निवासियों को विद्रोह करने पर मजबूर होना पड़ रहा है. बलूचिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, इसके बावजूद पाकिस्तान में सबसे ज्यादा बदहाल यह प्रांत ही है.

पाकिस्तान खुद तो इसके संसाधनों का दोहन करता ही है, चीन को भी उसने इसके दोहन की मनमानी छूट दे दी है, जिससे पहले से ही नाराज चल रहे यहां के लोगों का धैर्य जवाब दे गया है. दरअसल भारत-पाकिस्तान बंटवारे के वक्त से ही बलूचिस्तान एक आजाद देश के रूप में रहना चाहता था. पाकिस्तान ने उस समय इस मांग को मान भी लिया था. लेकिन बाद में मार्च 1948 में उसने हमला करके बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा कर लिया था. तभी से बलूचों का पाकिस्तानियों से संघर्ष चला आ रहा है.

भुट्टो के शासनकाल में तो पाकिस्तानी शासकों ने वहां खून की होली खेली. वहां के प्राकृतिक संसाधनों से पूरे पाकिस्तान का पेट भरा जाता है, जबकि खुद बलूच दो वक्त की रोटी को तरसते हैं. लेकिन चीन को भी इस शोषण में हाथ बंटाने के लिए आमंत्रित करके पाकिस्तानी शासकों ने हद ही पार कर दी.

बलूच विद्रोहियों के निशाने पर ग्वादर बंदरगाह है, जिसे पाकिस्तान ने चीन की मदद से विकसित किया है. ग्वादर बंदरगाह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा है. पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत होने के बावजूद इस्लामाबाद की राजनीति और फौज में बलूचिस्तान की जगह नहीं के बराबर है. बलूचिस्तान के समर्थकों को अक्सर गायब कर दिया जाता है.  

एक एनजीओ बलूच मिसिंग पर्सन्स के अनुसार, साल 2001 से 2017 के बीच पांच हजार से ज्यादा बलूच लापता हैं. इसलिए बलूचों का सब्र अब जवाब दे गया है. बलूचिस्तान में हिंसा की नई लहर 2004 में फैली थी और 2006 में पाकिस्तानी सेना ने जब बलूचों के प्रमुख नेता अकबर खान बुगती की हत्या कर दी तो ये आग बहुत तेजी के साथ फैलती गई.

ट्रेन हाईजैक की घटना ने दिखा दिया है कि अब यह आग पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है और बांग्लादेश की तरह शायद बलूचिस्तान से भी उसे हाथ धोना पड़े. दूसरों के घरों में आतंकवाद की आग लगाने वाले पाकिस्तान की अक्ल क्या अब भी ठिकाने आएगी?

Web Title: Pakistan which ignited the fire of terrorism is now burning itself

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