वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बड़ी मुश्किल से बचा पाकिस्तान
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 19, 2019 07:13 AM2019-10-19T07:13:52+5:302019-10-19T07:13:52+5:30
एफएटीएफ के सदस्य पाकिस्तानी सरकार की कार्रवाई से पूर्ण संतुष्ट नहीं हैं. इस संगठन का अध्यक्ष आजकल चीन है. चीन इस आड़े वक्त में पाकिस्तान के खूब काम आया है. अगर चीन की जगह कोई और राष्ट्र होता तो पाकिस्तान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता.
आज के दिन पाकिस्तान की सांस अधर में लटकी हुई थी. यदि पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स (एफएटीएफ ) पाकिस्तान को उसकी ग्रे लिस्ट में से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डाल देती तो उसकी नैया डूब जाती. ब्लैक लिस्ट में आने का अर्थ है, पाकिस्तान पर आतंकवाद को पालने वाले देश का ठप्पा लग जाता और वह ईरान और उत्तर कोरिया की श्रेणी में चला जाता. उसकी आर्थिक घेराबंदी हो जाती. दुनिया के देश उसकी आर्थिक मदद नहीं कर पाते. उसका हुक्का-पानी बंद हो जाता. पाकिस्तान का आरोप है कि इस काम के लिए भारत ने अपना पूरा जोर लगा रखा है.
आज शुक्रवार को पेरिस में हुई बैठक में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में तो नहीं डाला है लेकिन उसे ग्रे लिस्ट से भी बाहर नहीं निकाला है. उसे पिछले साल यह चेतावनी दी गई थी लेकिन लाख दावे करने के बावजूद अभी तक इमरान सरकार अपने आतंकवादी संगठनों और उनके वित्तीय स्नेतों को काबू में नहीं कर सकी है.
अब उसे फरवरी 2020 तक एक मौका और दिया गया है. उसे जून 2018 में 27 सूत्नी योजना दी गई थी लेकिन अभी तक 15 माह बीत जाने के बावजूद वह सिर्फ 5 मुद्दों पर कार्रवाई कर सकी है.
एफएटीएफ के सदस्य पाकिस्तानी सरकार की कार्रवाई से पूर्ण संतुष्ट नहीं हैं. इस संगठन का अध्यक्ष आजकल चीन है. चीन इस आड़े वक्त में पाकिस्तान के खूब काम आया है. अगर चीन की जगह कोई और राष्ट्र होता तो पाकिस्तान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता.
अब भी पाकिस्तान को आतंकवाद के विरुद्ध अपनी कमर कस लेनी चाहिए वरना अगले साल फरवरी में उसे कोई नहीं बचा पाएगा, चीन भी नहीं. यहां लंदन में कुछ पाकिस्तानी दोस्तों ने मुझसे कहा कि जब तक पाकिस्तान को बाहरी मदद बंद नहीं होगी, वह अपने पांव पर खड़ा ही नहीं हो सकता.