pakistan punjab: पाकिस्तान में वहां के पंजाब प्रांत के पंजाबियों का खून बहने का सिलसिला थम नहीं रहा है. कल यानी सोमवार को अलसुबह बलूचिस्तान सूबे में कम-से-कम 23 पंजाबी मुसाफिरों को बसों और ट्रकों से उतारकर बारी-बारी से गोली से उड़ा दिया गया. पत्थर दिल कातिलों ने पहले मुसाफिरों से लेकर उनके पहचान पत्रों की जांच की और एक बार जब उन्हें यकीन हो गया कि ये पंजाब से हैं तो उन्हें बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. बलूचिस्तान में कामकाज के सिलसिले में गए पंजाबियों का कत्लेआम बीते करीब चार सालों से जारी है. तरीका एक ही है.
किसी सुनसान जगह से गुजरने वाली बसों और ट्रकों को रोक कर पंजाबी मुसाफिरों को मार दो. पिछले मई के महीने में पाकिस्तान के तटीय शहर ग्वादर में अज्ञात बंदूकधारियों ने पंजाब प्रांत के सात लोगों को गोली मारकर भून डाला था. ये सब पेशे से नाई थे. इस साल बलूचिस्तान में पंजाबियों पर हमले की यह चौथी बड़ी घटना है.
बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से ईरान जा रहे नौ पंजाबियों की अप्रैल में हत्या की जिम्मेदारी ली थी. पंजाबियों को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी चुन-चुनकर मार रही है. किस वजह से पंजाबियों को बलूचिस्तान में निशाना बनाया जा रहा है? दरअसल पाकिस्तान की एक बड़ी आबादी नफरत करती है.
पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियों से भरी हुई पाकिस्तानी सेना से. सबको लगता है कि पंजाब उनका शोषण कर रहा है और उनके हकों को मार रहा है. बलूचिस्तान में लंबे समय से पाकिस्तानी सरकार पर बलूचिस्तान के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के लूटने के आरोप लग रहे हैं. उनका कहना है कि इस कारण बलूचिस्तान बर्बाद हो गया है.
प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के बावजूद बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे कम आबादी वाला और गरीब प्रांत बना हुआ है. बलूचिस्तान की जनता मानती है कि उनके संसाधनों से पंजाब और पंजाबियों का ही पेट भरता है. इसलिए ही बलूचिस्तान में पंजाबियों से नफरत की जाती है.
बलूचिस्तान तो पाकिस्तान का अंग बनकर रहना ही नहीं चाहता. वह तो पाकिस्तानी सेना की ताकत उसे पाकिस्तान का हिस्सा बनाए हुई है. पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में विद्रोह को दबाने के लिए टैंक और लड़ाकू विमानों तक का इस्तेमाल करती है. समूचा बलूचिस्तान अंधकार युग में रह रहा है. इधर कायदे की शिक्षा व्यवस्था भी नहीं है.