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पाकिस्तान की सेना और शासन देश-दुनिया में हंसी के पात्र बनते जा रहे?, अपनी अफवाह से अपने आप को किया शर्मिंदा

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 16, 2025 08:42 IST

परेड का आयोजन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 79वें जन्मदिन पर होने जा रहा था और उसमें 6,600 सैनिक, 150 वाहन और 50 विमान हिस्सा लेने वाले थे.

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ठळक मुद्देपाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को आमंत्रित किया गया है. मुनीर को अमेरिकी सेना के समकक्षी ने परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया है.यहां तक जा पहुंचे कि फैलती खबरों पर विपक्ष के नेताओं ने विवाद खड़ा कर दिया.

पाकिस्तान की सेना और शासन देश-दुनिया में हंसी के पात्र बनते जा रहे हैं. अक्सर भारत के खिलाफ झूठी बातों को फैलाने से लेकर अब खुद को भी मूर्ख साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. पिछले दिनों खबर उड़ी कि वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित सैन्य परेड के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर को आमंत्रित किया गया है. इस परेड का आयोजन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 79वें जन्मदिन पर होने जा रहा था और उसमें 6,600 सैनिक, 150 वाहन और 50 विमान हिस्सा लेने वाले थे.

इस बात को पाकिस्तानी मीडिया के अलावा कुछ उत्साही भारतीय समाचार चैनलों ने भी 12 जून को दिखाया और बताया कि मुनीर को अमेरिकी सेना के समकक्षी ने परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया है. हालात तो यहां तक जा पहुंचे कि फैलती खबरों पर विपक्ष के नेताओं ने विवाद खड़ा कर दिया.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे भारत के लिए ‘कूटनीतिक झटका’ करार देते हुए ट्रम्प प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाए. मगर भारतीय विदेश मंत्रालय ने संयम का परिचय देते हुए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इसी बीच, अमेरिका की तरफ से भी स्पष्टीकरण सामने आ गया. व्हाइट हाउस ने किसी भी विदेशी सैन्य नेता को आयोजन में आमंत्रित नहीं करने के बारे में स्पष्ट किया.

साथ ही उसने दावों को ‘फर्जी खबर’ बताने में भी कोई संकोच नहीं किया. सोशल मीडिया पर जब मुद्दा खूब उछलने लगा और अमेरिकी पक्ष सामने आ गया तो पाकिस्तान के दावों को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिली. यह पहली बार नहीं हुआ. भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान किसी न किसी तरह से अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि सुधारने की कोशिश में जुटा हुआ है.

हमलों के दौरान उसने भारतीय सेना को नुकसान पहुंचाने की झूठी खबरों का सहारा लेने का प्रयास किया था. जब पोल खुलने लगी थी तो उसने भारत की तरह एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर विदेशों में भेजने की कोशिश की. मगर उसे भी खरी-खोटी सुननी पड़ी. ताजा मामला सेना के प्रमुख से जुड़ा सामने आया है.

यह साबित करता है कि पाकिस्तान सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई दोनों ही अपनी ताकत से अधिक अफवाह तंत्र पर आश्रित हो चले हैं. उन्हें अपने देश से अधिक दुनिया की चिंता है, जिसमें वह अपने आप को प्रतिष्ठित राष्ट्र बताना चाहते हैं. किंतु यह कार्य झूठ से नहीं हो सकता है. इसके लिए पहले आंतरिक छवि को सुधारना होगा. उसके बाद ही बाह्य परिस्थितियों को बदला जा सकेगा.

आतंकवादी ठिकानों पर भारत के दो और अमेरिका के एक हमले के बाद सबकुछ साफ है. उसे छिपा या नया मुखौटा पहना कर बदलाव नहीं आएगा. अफवाहों से शर्मिंदगी से अधिक कुछ नहीं मिल सकता है. अब दुनिया का सूचना तंत्र इतना विकसित हो चुका है कि पल भर में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है. ताजा मामला जिसका एक सबूत है.  

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