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ब्लॉगः ईरान में इब्राहिम रायसी की जीत से कई खुश, इजराइल सऊदी अरब और इराक खफा

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 21, 2021 16:41 IST

ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि वह राष्ट्रपति जो बाइडन से मिलना नहीं चाहते, वह तेहरान की बैलिस्टिक मिसाइलों, क्षेत्रीय मिलिशिया समर्थन पर बातचीत को तैयार नहीं है.

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ठळक मुद्देअमेरिका और यूरोपीय राष्ट्रों की भी चिंता थोड़ी बढ़ गई है.इब्राहिम रायसी ईरान के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. ईरान-इराक युद्ध के बाद ईरान में देशद्रोहियों को दंडित करने के लिए जो आयोग बना था.

ईरान के राष्ट्रपति के चुनाव में इब्राहिम रायसी के जीतने पर वे सब लोग बहुत खुश हैं, जो ईरान में अपने आपको कट्टर राष्ट्रवादी कहते हैं.

लेकिन इब्राहिम रायसी की जीत पर इजराइल खफा है ही, सऊदी अरब और इराक जैसे राष्ट्रों में भी खुशी का माहौल नहीं है. अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्रों की भी चिंता थोड़ी बढ़ गई है, क्योंकि उन्होंने ईरान के साथ जो परमाणु-सौदा किया था, उसको पुनर्जीवित करने में कठिनाइयां आ सकती हैं.

इब्राहिम रायसी ईरान के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. ईरान-इराक युद्ध के बाद ईरान में देशद्रोहियों को दंडित करने के लिए जो आयोग बना था, उसके सदस्य होने के कारण अमेरिका ने रायसी पर तरह-तरह के प्रतिबंध घोषित किए थे. इब्राहिम रायसी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खोमैनी के परमप्रिय शिष्यों में से हैं.

इब्राहिम रायसी ने 2017 में भी हसन रुहानी के खिलाफ राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे. इस बार ईरान के चुनाव आयोग ने हसन रुहानी के अलावा कई महत्वपूर्ण ईरानी नेताओं की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था. सर्वोच्च नेता खोमैनी ने पहले से ही इब्राहिम रायसी को समर्थन दे दिया था. इसीलिए उनका चुना जाना तो तय ही था.

उन्हें कुल पड़े हुए वोटों के 62 प्रतिशत वोट मिले हैं लेकिन कुल मतदाताओं के एक-तिहाई से भी कम वोट उन्हें मिले हैं. रईसी के पहले आठ साल तक राष्ट्रपति रहे हसन रुहानी जरा उदारवादी नेता थे. उनके जमाने में छह राष्ट्रों ने मिलकर ईरान को परमाणु शस्त्नास्त्न विरक्ति के लिए तैयार किया और ईरान-विरोधी राष्ट्रों ने भी ईरान के प्रति नरम रुख अपनाया लेकिन आर्थिक दुरवस्था, महंगाई, बेरोजगारी और जन-प्रदर्शनों ने रु हानी को तंग करके रख दिया था.

अब इब्राहिम रायसी की जीत पर रूस, तुर्की, सीरिया, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने उनको बधाई दी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन जैसी संस्थाओं ने चिंता व्यक्त की है. ईरान के परमाणु-समझौते को पुनर्जीवित करने की जो बात बाइडेन-प्रशासन ने फिर से शुरू की थी.

उम्मीद है कि अमेरिका उस पर कायम रहेगा और ट्रम्प-प्रशासन के प्रतिबंधों को उठा लेने की कोशिश करेगा. इब्राहिम रायसी और ईरान के अपने राष्ट्रहित में यह होगा कि यह नई सरकार परमाणु-समझौते पर व्यावहारिक रवैया अपनाए और ईरान को आर्थिक संकट से बाहर निकाले.

 

 

 

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