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विदेश नीति कूटनीतिः अमेरिका और पाक की पर्दे के पीछे की खिचड़ी

By राजेश बादल | Updated: November 6, 2025 05:24 IST

Foreign Policy Diplomacy: दोनों राष्ट्रों का सियासी चरित्र इतना नाटकीय और गिरगिटिया अंदाज में रंग बदलने वाला हो गया है कि वैश्विक राजनीति में वे विदूषक की तरह नजर आ रहे हैं.

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ठळक मुद्देपाकिस्तान ने उसी शैली में अमेरिका को उत्तर दिया.संसार उनकी बातों पर भरोसा कर लेगा. शेष विश्व में उनकी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ेगी.

Foreign Policy Diplomacy: विदेश नीति में कूटनीति कभी बड़ा महत्व रखती थी. अब उसका स्थान छल, फरेब और झूठ ने ले लिया लगता है.  पाकिस्तान और अमेरिका के बीच चल रही बयान अंताक्षरी से तो यही लगता है. पहले अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बौखलाने का अभिनय किया. उसके बाद पाकिस्तान ने उसी शैली में अमेरिका को उत्तर दिया.

शायद दोनों मुल्क यह समझते हैं कि संसार उनकी बातों पर भरोसा कर लेगा. लेकिन अब दोनों राष्ट्रों का सियासी चरित्र इतना नाटकीय और गिरगिटिया अंदाज में रंग बदलने वाला हो गया है कि वैश्विक राजनीति में वे विदूषक की तरह नजर आ रहे हैं. इससे शेष विश्व में उनकी प्रतिष्ठा नहीं बढ़ेगी. भारत को जितना कारोबारी झटका अमेरिका के रवैये से लगा है, उससे कम अमेरिका को नहीं लगा है.

एशिया में चीन और रूस के साथ-साथ भारत के एक मंच पर उपस्थित होने को वह पचा नहीं पा रहा है. दरअसल रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान समेत कुछ राष्ट्र भूमिगत परमाणु परीक्षण कर रहे हैं. उनका दावा है कि पाकिस्तान उन देशों में से एक है, जो गोपनीय तौर पर परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं.

उन्होंने इसे एक बड़े और खुफिया मिशन का परिणाम बताया था. ट्रम्प ने कहा कि अब इस मामले में अमेरिका भी अपने परमाणु परीक्षण फिर शुरू करेगा. ट्रम्प से यह कहा गया कि ऐसी सूचनाएं न तो सामने आई हैं और न ही इन देशों ने ऐसे किसी परीक्षण के बारे में खुलासा किया है. इस पर डोनाल्ड ट्रम्प का उत्तर था, ‘‘वे जानबूझकर आपको इस बारे में नहीं बताते...यह एक बड़ी दुनिया है.

आपको नहीं पता चलेगा कि वे कहां पर ऐसे परमाणु परीक्षण कर रहे हैं. वे अंडरग्राउंड तरीके से परीक्षण करते हैं.  इस दुनिया के लोगों को कभी जानकारी नहीं मिलती कि परीक्षण के नाम पर वास्तव में क्या हो रहा है. इसे आप जानेंगे तो सिहर उठेंगे.’’ ट्रम्प के इस कथन पर क्या कहा जाए? रूस कभी बताता नहीं.

चीन की खबर नहीं लगती तो सवाल पूछा जाना चाहिए कि क्या अमेरिका के परमाणु और घातक हथियार कार्यक्रम की किसी को भनक लगती है? गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीबीएस चैनल को दिए गए साक्षात्कार में भारत का नाम नहीं लिया है. भारत को लेकर उन पर चौतरफा आक्रमण हुए हैं. उनके अपने ही सलाहकारों ने ट्रम्प को आड़े हाथों लिया है कि भारत का अमेरिका से छिटकना स्थाई क्षति है.

बीते पच्चीस साल से अमेरिका हिंदुस्तान के साथ बेहतर संबंधों की नींव रख रहा है. चूंकि अमेरिका हमेशा पाकिस्तान का पक्षधर रहा है, इसलिए भारत से रिश्ते सुधारना लंबी प्रक्रिया का हिस्सा था. इसीलिए पाकिस्तान के खिलाफ बयान देकर भारत में अपनी सहानुभूति अर्जित करना चाहता है.

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल असीम मुनीर से ट्रम्प की गोपनीय मुलाकातें हुई हैं. उनकी पींगें बढ़ती गई हैं. ट्रम्प खुलेआम कह चुके हैं कि वे पाकिस्तान से प्यार करते हैं. अब पाकिस्तान का नाम लेकर वे अपने एक और झूठ की पटकथा लिख रहे हैं. जाहिर था कि इस पटकथा के अनुसार पाकिस्तान को अमेरिका को करारा जवाब देना चाहिए था.

यही हुआ. पाकिस्तान ने वैसी ही भाषा में उत्तर दिया, जो व्हाइट हाउस से लिखकर दी गई थी. उसी सीबीएस चैनल पर पाकिस्तान के अधिकारी ने अमेरिका पर अपना गुस्सा निकाला. अधिकारी ने कहा कि पाक परमाणु परीक्षण फिर शुरू करने वाला पहला देश नहीं होगा, न ही पहला देश था. इससे पहले पाकिस्तान ने भड़क कर कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे में कोई दम नहीं है.

उसने भारत के पोखरण में किए गए परमाणु परीक्षण के उत्तर में 1998 में अपना अंतिम परमाणु परीक्षण किया था.  दिलचस्प है कि चंद रोज पहले अमेरिकी सामरिक कमान स्टार्टकॉम के मुखिया ने अमेरिकी सांसदों को बताया था कि अमेरिका को रूस और चीन की ओर से ऐसे किसी परमाणु परीक्षण की जानकारी नहीं है और न ही इन देशों ने ऐसे परीक्षण किए हैं.

स्टार्टकॉम का मुखिया डोनाल्ड ट्रम्प का विश्वसनीय है.  हाल ही में उसे इस पद पर बैठाया गया है. इस तरह डोनाल्ड ट्रम्प का एक और झूठ उजागर हो गया. इससे पहले चीन ने भी अमेरिकी खुलासे पर कड़ा ऐतराज किया था. उसने ट्रम्प के आरोप खारिज करते हुए अपनी आत्मरक्षात्मक परमाणु नीति की पुष्टि की.

चीनी प्रवक्ता माओनिंग ने कहा था कि चीन हमेशा परमाणु परीक्षण स्थगित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा है. उन्होंने वाशिंगटन से वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था (सीटीबीटी )बनाए रखने का आग्रह किया. बता दूं कि पाकिस्तान ने आज तक सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यहां मैं चैनल सीबीएस के साथ डोनाल्ड ट्रम्प के खट्टे-मीठे रिश्तों को भी ध्यान में रखता हूं.

कुछ महीने पहले तक ट्रम्प इस चैनल से बेहद खफा थे. उन्होंने अपने बारे में कुछ झूठी कहानियां फैलाने का आरोप इस चैनल पर लगाया था और 20 अरब डॉलर का मानहानि का मुकदमा दायर किया था. ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया मंच पर लिखा था कि लगभग हर हफ्ते यह चैनल मेरे नाम का अपमानजनक तरीके से उल्लेख करता है और इस शनिवार तो यह प्रसारण अपनी सारी हद पार कर गया है.

ट्रम्प ने दावा किया था कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के एक साक्षात्कार में इसी चैनल ने जानबूझकर फेरबदल किया था. इसका उनको राजनीतिक नुकसान हो सकता था. ट्रम्प ने तो यहां तक कहा था कि यह चैनल बेईमान है और चैनल के वेश में छिपा राजनीतिक कार्यकर्ता  है.

अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अचानक इस चैनल के सुर क्योंकर बदल गए. दूसरी ओर सीएनएन, एनबीसी, पीबीएस समेत कुछ और चैनल हैं, जो ट्रम्प के मनगढ़ंत किस्सों को स्थान नहीं देते. इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है. कुल मिलाकर अमेरिका और पाकिस्तान के इस संयुक्त षड्यंत्र की भ्रूणहत्या हो गई है.  

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