पाकिस्तान पर आर्थिक चोट जरूरी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 20, 2019 03:09 AM2019-02-20T03:09:50+5:302019-02-20T03:09:50+5:30
पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक तरजीह वाले देश (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया गया है
(लेखक-जयंतीलाल भंडारी)
पाकिस्तान को दिया गया सर्वाधिक तरजीह वाले देश (एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया गया है साथ ही वहां से आयात होने वाली वस्तुओं पर 200 फीसदी आयात शुल्क बढ़ा दिया गया है. अब भारत के द्वारा पाकिस्तान पर हरसंभव आर्थिक प्रहार करके उसे आर्थिक रूप से पस्त करने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा.
पाकिस्तान खस्ताहाल आर्थिक स्थिति में है और उसकी विकास दर मात्न 4 फीसदी है. ऐसे में भारत के द्वारा पाकिस्तान पर आर्थिक प्रहार पाकिस्तान के आतंकी इरादों को नियंत्रित करेगा. जरूरी है कि भारत के द्वारा पाकिस्तान पर आर्थिक नियंत्नण की रणनीति के तहत आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएं.
अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से अपील की जाए कि वे पाकिस्तान को कोई नया ऋण न दें. पाकिस्तान रहित एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) की संभावना को आगे बढ़ाया जाए. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन बिम्सटेक और आसियान में पाकिस्तान की आर्थिक घेराबंदी की जाए. म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान को मिलाकर गठित समूह बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टर टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्सटेक) को बढ़ावा दिया जाए.
यद्यपि भारत के द्वारा पाकिस्तान से एमएफएन का दर्जा वापस लिए जाने से पाकिस्तान पर कोई बड़ा आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा, लेकिन पाकिस्तान की आर्थिक घेराबंदी की राह आगे बढ़ेगी. जहां भारत पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कराने की डगर पर आगे बढ़ सकेगा वहीं तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियों से भी कह सकता है कि अब कारोबार के लिए भारत को चुनें या पाकिस्तान को. दुनिया के सबसे चमकीले भारतीय बाजार को कोई नहीं छोड़ना चाहेगा.
भारत से पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते के तहत जो लाभ हो रहे हैं, उन्हें भी रोका जाना चाहिए. वर्ष 2016 में उड़ी की आतंकवादी घटना के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार की बात कही थी लेकिन उसके बाद भी सिंधु जल समझौता बना हुआ है. इस समय भारत के पास पाकिस्तान के आतंक को नियंत्रित करने के लिए सिंधु जल समझौता ब्रrास्र की तरह उपयोग में आ सकता है. ऐसे विभिन्न आर्थिक प्रतिबंधों से पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बनाया जा सकेगा. निश्चित रूप से ऐसे आर्थिक प्रहारों से पाकिस्तान को अपना आतंकी रूप बदलने को बाध्य होना पड़ेगा.