अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जिस तरह से अपने दूसरे कार्यकाल का कार्यभार संभालने के बाद एक के बाद कड़े कदम उठा रहे हैं अब उसी कड़ी में ट्रम्प ने अमेरिका की नई वीजा नीति के तहत एक अहम फैसला लेते हुए अमेरिका में बसने और कारोबार करने का सपना देखने वाले विदेशी अमीरों के लिए ‘गोल्ड कार्ड’ प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रस्ताव में वह अमीर प्रवासियों को आकर्षित करना चाहते हैं, जो अमेरिका में निवेश कर सकें.
इस गोल्ड कार्ड प्रोग्राम के जरिये विदेशियों को लगभग 50 लाख डॉलर देकर अमेरिकी नागरिकता का रास्ता मिलेगा. ये राशि भारतीय रुपए में 43 करोड़ से ज्यादा बैठती है. ऐसे में जाहिर है कि अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने के इच्छुक भारतीयों का बहुत बड़ा वर्ग इस कार्ड के जरिये अमेरिका में बसने की सोच भी नहीं सकता है. ट्रम्प का कहना है कि इस योजना का ब्यौरा अगले दो सप्ताह में तैयार हो जाएगा और मार्च में इसे अमली जामा पहना दिया जाएगा.
हालांकि अमेरिकी संविधान के अनुसार इससे पहले अमेरिका की आव्रजन नीति में किसी अहम बदलाव के लिए कांग्रेस से अनुमति लेनी होगी, तभी इसे ट्रम्प भी मंजूरी दे पाएंगे. वैसे रिपब्लिकन पार्टी का दोनों सदनों में बहुमत है लेकिन विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की तरह ट्रम्प की अपनी रिपब्लिकन पार्टी में भी अनेक सांसद ने इस योजना से असहमति जताई है. वैसे दुनिया भर में लगभग 100 देशों में गोल्ड कार्ड योजना चल रही है लेकिन ब्रिटेन, कनाडा, साइप्रस जैसे अनेक देशों में हुए दुरुपयोग के चलते इसे वापस ले लिया गया.
ब्रिटेन ने इसे 2008 में अपने देश में लागू किया था लेकिन यह पाए जाने के बाद कि इस योजना से ‘भ्रष्ट अमीरों’ को ब्रिटेन में घुसने और वहां इस तरह के अवसर का दुरुपयोग करने का मौका मिल गया, ब्रिटेन ने 2022 में इसे वापस ले लिया.
एक रिपोर्ट के मुताबिक ईबी-5 प्रोग्राम के तहत पांच से सात साल में नागरिकता मिलती थी जबकि प्रस्तावित ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा योजना में नागरिकता तुंरत मिलेगी. ट्रम्प ने कहा कि ‘गोल्ड कार्ड’ 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेगा, जो अमेरिकी व्यवसायों में करीब 1 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाले विदेशियों के लिए उपलब्ध है.
ट्रम्प के अनुसार इस योजना के तहत यदि दस लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाते हैं, तो यह 5 ट्रिलियन डॉलर का राजस्व उत्पन्न कर सकता है, जिसे देश के कर्ज को कम करने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
लेकिन ईबी-5 के तहत आवेदक ऋण ले सकते हैं, जबकि ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा के लिए पहले से ही पूरा नगद भुगतान करना पड़ेगा, जिससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाएगा.