China–India relations: ड्रैगन के विस्तारवादी एजेंडे से सतर्क रहना होगा भारत को?
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: November 22, 2024 05:49 IST2024-11-22T05:47:38+5:302024-11-22T05:49:05+5:30
China–India relations: मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब कुछ सप्ताह पहले ही भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में दो अंतिम टकराव स्थलों से सैनिकों की वापसी पूरी की है.

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China–India relations: भारत और चीन ने पारस्परिक विश्वास और समझ की बहाली के लिए एक रोडमैप की दिशा में काम करने पर सहमति व्यक्त की है. इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष डोंग जून के साथ वार्ता के दौरान 2020 के ‘दुर्भाग्यपूर्ण सीमा संघर्षों’ से सबक लेने की बात भी कही. दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात लाओस की राजधानी विएंतियाने में हुई. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब कुछ सप्ताह पहले ही भारतीय और चीनी सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में दो अंतिम टकराव स्थलों से सैनिकों की वापसी पूरी की है.
इससे पहले दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कई वार्ताओं के बाद समझौता हुआ था. दोनों पक्षों ने लगभग साढ़े चार वर्ष के अंतराल के बाद दोनों क्षेत्रों में गश्त भी शुरू कर दी है. भारत और चीन पड़ोसी हैं और बने रहेंगे. इसलिए संघर्ष के बजाय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. इससे जो सौहार्द्रपूर्ण संबंध बनेंगे उनका वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
जब दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है तो स्वाभाविक रूप से उनका आर्थिक विकास भी प्रभावित होता है. इसलिए पड़ोसी देश के साथ रिश्ते मधुर बने रहें, इसके लिए प्रयास तो होने ही चाहिए. भारत और चीन के बीच भी रिश्तों में टकराव इसलिए होता रहता है क्योंकि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की मर्यादा का पालन नहीं करता, अपनी विस्तारवादी नीति पर लगाम नहीं लगाता.
जानकारों का कहना है कि चीन के किसी भी कदम पर दावे के साथ कुछ कहना मुश्किल होता है. अतीत में भी चीन के साथ कई समझौते हुए हैं. वह कब अपना रुख बदल ले, कहा नहीं जा सकता. वहीं विशेषज्ञों को यह भी लगता है कि चीन अपने विस्तारवादी प्रयासों को फिर से शुरू करने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा है.
भारत को चीन के विस्तारवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के प्रयासों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए. मौजूदा शांति को स्थायी शांति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. चीन एक ऐसा देश है जिसमें ‘विश्वसनीयता की कमी’ है. इस देश ने हमेशा दो कदम आगे बढ़कर एक कदम पीछे हटने की नीति का पालन किया है.
इसलिए चीन को लेकर भारत को सतर्क रहना चाहिए. हमारी रणनीति बहुआयामी होनी चाहिए. हमें अपना रक्षा बजट बढ़ाना चाहिए क्योंकि सेना में लगातार निवेश से भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि होगी. चीन पर आर्थिक रूप से प्रभाव डालकर भी हमें लाभ मिल सकता है. अपने पड़ोसी चीन को लेकर भारत सतर्क रहे, विश्वास करे, पर सत्यापन भी करे और सैन्य शक्ति भी लगातार बढ़ाता रहे.