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Child Welfare Facility: बाल कल्याण की दिशा में यूनिसेफ के प्रयास हो रहे सफल

By रमेश ठाकुर | Updated: December 12, 2024 05:26 IST

Child Welfare Facility: भारत के नजरिए से यूनिसेफ को देखें, तो वर्ष-1949 में मात्र तीन सदस्यीय स्टाफ ने हमारे यहां काम आरंभ किया.

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ठळक मुद्देयूनिसेफ की टीमें चौबीसों घंटे ग्राउंड जीरो पर तैनात रहती हैं.सन् 1952 में दिल्ली में अपना एक कार्यालय स्थापित किया.सिंथिया मैककैफ्रे करती हैं जिनकी नियुक्ति अक्तूबर 2022 में हुई थी.

Child Welfare Facility: यूनिसेफ का नाम सुनते ही मन-मस्तिष्क में बच्चे ईदगिर्द घूमने लगते हैं. साथ ही उनकी समस्याओं और सुधारी प्रयासों का जिक्र भी होने लगता है. आज ‘विश्व यूनिसेफ दिवस’ है. एक ऐसी संस्था जो संसार के 190 देशों के बेहद दुर्गम स्थानों पर पहुंचकर बच्चों के अधिकारों की हिमायत के लिए मजबूती से लड़ती है. बाल कल्याण की सुविधाएं विश्व के प्रत्येक जरूरतमंद, कमजोर और वंचित बच्चों तक पहुंचे, इसलिए लिए यूनिसेफ की टीमें चौबीसों घंटे ग्राउंड जीरो पर तैनात रहती हैं. यूनिसेफ का मतलब होता है.

भारत के नजरिए से यूनिसेफ को देखें, तो वर्ष-1949 में मात्र तीन सदस्यीय स्टाफ ने हमारे यहां काम आरंभ किया. लेकिन सन् 1952 में दिल्ली में अपना एक कार्यालय स्थापित किया. वर्तमान में, समूचे भारत में इनके 16 राज्यों में कार्यालय हैं. जहां ये बच्चों के अधिकारों की हिमायत करते हैं. भारत में इनका प्रतिनिधित्व सिंथिया मैककैफ्रे करती हैं जिनकी नियुक्ति अक्तूबर 2022 में हुई थी.

भारत सरकार अपने बजट से बड़ी रकम इनको सालाना आंवटित करती है. ताकि हमारे यहां दुगर्म क्षेत्रों में रहने वाले वो बच्चे भी इनके जरिए शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकें, जो सरकार की नजरों से छूट जाते हैं. यूनिसेफ का मुख्यालय, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित है. संस्था का उद्देश्य संसार भर के बच्चों को सुगम जीवन जीने, उन्हें आगे बढ़ाने और अपनी क्षमता का विकास कराने का अधिकार मुहैया कराना होता है. वर्ष 2021 में भारत में यूनिसेफ की सेवाओं के 75 वर्ष पूरे हुए.

तब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूनिसेफ और भारत के सहयोग के साझा प्रयासों की सराहना की. भारतीय हुकूमत भी चाहती है कि प्रत्येक बच्चे का स्वास्थ्य चंगा हो, सुरक्षा और खुशहाली मिले, इसके लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ती. यूनिसेफ के लोग इस बात को विभिन्न वैश्विक मंचों पर कई मर्तबा कह भी चुके हैं कि उन्हें भारत सरकार से सदैव भरपूर सहयोग मिला.

2018 में यूनिसेफ ने ‘एवेरी चाइल्ड अलाइव’ नाम से एक अंतरराष्ट्रीय अभियान शुरू किया था जिसके अनुसार प्रत्येक मां और नवजात शिशु के लिए सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग और उनकी आपूर्ति करने के लिए प्रयासों का श्रीगणेश करना था. उस अभियान ने जबरदस्त सफलता हासिल की.

यूनिसेफ के इस समय 150 देशों में कार्यालय, 34 राष्ट्रीय समितियां हैं जो मेजबान सरकारों के साथ विकसित कार्यक्रमों के माध्यम से अपने मिशन को आगे बढ़ाते हैं. यूनिसेफ को सार्वजनिक क्षेत्र के तीन सबसे बड़े भागीदार संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी और विश्व बैंक अधिकांश पैसा देते हैं. बीते दो दशकों में, विश्व भर में बच्चों के जीवित रहने के दर में बहुत अधिक वृद्धि देखी गई.

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