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ब्लॉग: विकिपीडिया से उलझी सूचना की सत्यता 

By अभिषेक कुमार सिंह | Updated: October 29, 2024 14:57 IST

इससे उनका कारोबार चलता है. उन्हें इससे कमाई होती है इसलिए यदि उनके मंच पर मौजूद कोई जानकारी गलत है, किसी की मानहानि कर रही है, तो यह जिम्मेदारी भी उन्हीं की है कि वे इसे दुरुस्त करें

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इंटरनेट पर किसी जानकारी की खोज के यूं तो अब कई नए ठिकाने हो सकते हैं, इसके बावजूद गूगल और विकिपीडिया जैसे सर्च इंजन और ऑनलाइन विश्वकोश दुनिया के लिए अहम स्रोत बने हुए हैं. इनमें अल्फाबेट कंपनी के गूगल का काम थोड़ा कारोबारी है क्योंकि वह विज्ञापन और ग्राहकों के डाटा से कमाई करता है. इसके विपरीत ऑनलाइन विश्वकोश विकिपीडिया की संचालक संस्था विकिपीडिया फाउंडेशन इसे दान की रकम पर चलाती है. यानी यह संस्था न तो कहीं से विज्ञापन लेती है और न ही उपभोक्ता से सूचनाओं (डाटा) का जरूरतमंद कंपनियों के साथ कोई सौदा करती है.

इस ऑनलाइन विश्वकोश को पिछले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में पूरी दुनिया से 18 करोड़ डॉलर यानी करीब 1513 करोड़ रुपए का भारी-भरकम चंदा मिला था. विकिपीडिया की इस चर्चा के फिलहाल दो संदर्भ हैं जो इसके कामकाज पर टिप्पणी करते हैं और सवाल उठाते हैं कि चंदे पर चल रहा यह विश्वकोश क्या अपनी जिम्मेदारियों का निवर्हन ठीक प्रकार से कर रहा है.

पहली समस्या भारत में उठी, जहां एक समाचार एजेंसी- एएनआई ने मानहानि के मामले में विकिपीडिया को अदालत में घसीटा. दूसरी दिक्कत अमेरिकी अरबपति कारोबारी एलन मस्क के एक बयान से पैदा हुई. इस समय अमेरिकी चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का समर्थन कर रहे मस्क ने कहा कि लोगों को चाहिए कि वे विकिपीडिया को चंदा देना बंद कर दें. इसकी वजह उन्होंने यह बताई कि इसे ‘अति-वामपंथी कार्यकर्ताओं’ द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है, इसलिए इस पर मौजूद जानकारी एकतरफा मानी जा सकती है.

अब से करीब ढाई दशक पहले वर्ष 2001 में गैरलाभकारी संस्था विकिपीडिया फाउंडेशन ने जब इस विश्वकोष को स्थापित किया था, तब इंटरेट पर विश्वसनीय सूचना स्रोतों का अभाव था. ऐसे में लोगबाग गूगल के साथ-साथ विकिपीडिया से मिलने वाली जानकारियों पर भरोसा करते थे. आंकड़े देखें तो आज भी हर महीने औसतन 10 खरब से ज्यादा बार विकिपीडिया पर दुनिया में कोई न कोई जानकारी खोजी जा रही है.

समाचार एजेंसी एएनआई के बारे में विकिपीडिया के पेज पर लिखा गया था कि यह एजेंसी गलत सूचनाओं की रिपोर्टिंग करती है. इस गलतबयानी की जानकारी मिलने पर एएनआई ने न सिर्फ विकिपीडिया के दावे का खंडन किया, बल्कि दिल्ली हाईकोर्ट में विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी कायम किया गया. अदालत ने मामले को सुना और विकिपीडिया को यह कहते हुए फटकार लगाई कि अगर उसने एएनआई की मानहानि से जुड़ा पेज नहीं हटाया तो विकिपीडिया के भारत में संचालन पर रोक लगा दी जाएगी. इसके बाद ऐसा पहला मौका आया जब विकिपीडिया ने कोर्ट के आदेश पर किसी जानकारी का मामूली संपादन करने के स्थान पर संबंधित पूरा पेज ही हटा दिया है.

विकिपीडिया पर हुई ताजा कार्रवाई का एक और संदेश निकलता है. चूंकि हाल के दशक में इंटरनेट और सोशल मीडिया के प्रसार के कारण सूचनाओं का आवागमन चंद हाथों से निकलकर आम लोगों तक हो गया है, ऐसे में उसकी निगरानी और नियंत्रण की जिम्मेदारी भी उन मंचों पर आ गई है जो उस सूचना का प्रचार-प्रसार करते हैं. इससे उनका कारोबार चलता है. उन्हें इससे कमाई होती है इसलिए यदि उनके मंच पर मौजूद कोई जानकारी गलत है, किसी की मानहानि कर रही है, तो यह जिम्मेदारी भी उन्हीं की है कि वे इसे दुरुस्त करें. जनहित के लिए इंटरनेट के इन मंचों को सूचना के निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करते हुए यह सावधानी भी बरतनी होगी कि उन पर मौजूद सूचनाएं नियम-कायदे के दायरे से बाहर नहीं जाएं.

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