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ब्लॉग: एयर इंडिया के डाटा लीक मामले ने फिर किया सावधान, आखिर साइबर हमलों से निपटने के लिए कितने तैयार हैं हम?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 1, 2021 16:25 IST

हाल में साइबर हमले के कई मामले सामने आते रहे हैं. एयर इंडिया के 45 लाख यात्रियों का डाटा लीक होने की भी बात सामने आई है. ऐसे में सवाल उठता है कि हम ऐसे साइबर हमलों के लिए कितना तैयार हैं?

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शशांक द्विवेदी

एक बड़े साइबर हमले में एयर इंडिया के 45 लाख यात्रियों का डाटा लीक हुआ है. इस डाटा में भारत समेत अन्य देशों के पैसेंजर्स की जानकारी भी शामिल है. यह हमला एयर इंडिया की सेवा प्रदाता कंपनी एसआईटीए (सीटा) के सर्वर पर हुआ है. 

एसआईटीए (सीटा) स्विट्जरलैंड के जिनेवा स्थित एक प्रौद्योगिकी कंपनी है, जो हवाई परिवहन संचार और सूचना प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता रखती है. सीटा यात्री प्रसंस्करण, आरक्षण प्रणाली आदि जैसी सेवाएं प्रदान करती है. 

2017 में एयर इंडिया ने अपने आईटी इंफ्रास्ट्रर को अपग्रेड करने के लिए सीटा के साथ एक समझौता किया था, जिसमें ऑनलाइन बुकिंग, प्रस्थान नियंत्रण प्रणाली, चेक-इन और स्वचालित बोर्डिग नियंत्रण, बैगेज सुलह प्रणाली आदि सीटा के जिम्मे था.

यह डाटा लीक एयर इंडिया के सर्वर से नहीं बल्कि एयर इंडिया के सर्विस प्रोवाइडर यानी सीटा के सर्वर से हुआ है. एयर इंडिया ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि इस अटैक में कंपनी के दुनियाभर के ग्राहकों की निजी जानकारी चोरी हो गई. इसमें ग्राहकों के नाम, जन्मतिथि, कॉन्टैक्ट इन्फॉर्मेशन, पासपोर्ट की सूचना, टिकट की सूचना और क्रेडिट कार्ड डाटा शामिल है. 

एयर इंडिया ने कहा कि लीक हुआ डाटा 11 अगस्त 2011 से 3 फरवरी 2021 के बीच यात्र करने वाले लोगों का है. फिलहाल एयर इंडिया ने अपने यात्रियों को आश्वासन दिया है कि डाटा के किसी भी दुरुपयोग का कोई सबूत नहीं है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि लीक हुए डाटा में यात्रियों के पासपोर्ट और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारियां हैं, ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में यात्रियों के डाटा का दुरुपयोग नहीं होगा?

दुनिया भर में साइबर हमले का खतरा

भारत सहित दुनिया भर में इस तरह के साइबर हमलों का खतरा मंडरा रहा है. पिछले एक साल में चीन ने भारत पर कई साइबर हमले किए हैं. पिछले साल अक्तूूबर में मुंबई में ब्लैकआउट हो गया था और हाल में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कामकाज कई घंटे प्रभावित रहा. 

इसके पीछे चीन का साइबर हमला ही था. सवाल उठता है कि भारत इन साबइर हमलों के लिए कितना तैयार है. पिछले दिनों दिल्ली के थिंक-टैंक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक वचरुअल कार्यक्रम में भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि चीन के पास भारत के खिलाफ साइबर हमले करने की क्षमता है और वो देश की व्यवस्था में बड़ी गड़बड़ी पैदा कर सकता है. 

भारत में कोरोनाकाल में एक तरफ जहां कोरोना वायरस ने लोगों की मुसीबतें बढ़ाईं, तो दूसरी तरफ हैकर्स ने इसमें इजाफा किया. देश के लिए 2020 ऐसा साल रहा जब यूजर्स पर सबसे ज्यादा मैलवेयर अटैक किए गए. साइबर विशेषज्ञों के अनुसार भारत में जितने बड़े सर्वर मौजूद हैं, वे हैकिंग प्रूफ नहीं हैं. 

हमारे यहां भी तभी हम जागते हैं, जब कोई बड़ा साइबर अटैक हो.  कुल मिलाकर अब भारत को इस तरह के साइबर हमलों से सतर्क रहना होगा और केंद्र सरकार को डिजिटल इंडिया की तर्ज पर साइबर सुरक्षा के लिए विशेष रणनीति बनाने सहित असाधारण प्रयास करने होंगे.

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