नवरात्रि: उपनिषद में वर्णित है देवी का ब्रह्मरूप, ‘प्रज्ञान ब्रह्मं’ ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की गूंज
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 1, 2025 05:25 IST2025-10-01T05:25:47+5:302025-10-01T05:25:47+5:30
Shardiya Navratri 2025: ब्रह्वृचोपनिषद नामक ‘तत्व-उपनिषद’ एक अविख्यात सा उपनिषद है जो देवी को ब्रह्मरूप में प्रतिष्ठित करता है ... देवी हयेकाग्र आसीत् सैव जगदण्डमसृजत् ...

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इला कुमार
नवरात्रि काल में हर ओर देवी की पूजा-आराधना का मंजर नजर आता है. ऐसे में जानने की इच्छा होती है कि मातृ स्वरूपा देवी का स्वरूप वास्तव में कैसा है. ऐसे में ब्रह्वृचोपनिषद का नाम सामने आता है जिसमें देवी को ब्रह्म रूप में प्रतिष्ठित किया गया है. हम ब्रह्वृचोपनिषद के सहारे देवी के वास्तविक स्वरूप को जानने की चेष्टा में आगे बढ़ते हैं तो पाते हैं कि यह छोटे कलेवर वाला ब्रह्वृचोपनिषद अत्यंत विशाल आशय धारण किए हुए है. अन्य उपनिषदों की तरह ही इसकी भी शुरुआत शांति पाठ से होती है. ब्रह्वृचोपनिषद नामक ‘तत्व-उपनिषद’ एक अविख्यात सा उपनिषद है जो देवी को ब्रह्मरूप में प्रतिष्ठित करता है ... देवी हयेकाग्र आसीत् सैव जगदण्डमसृजत् ... देवी ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की और वही संसार की उत्पत्ति से पहले भी थीं!
इस उपनिषद में आगे बताया गया है कि उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु व रुद्र का प्रादुर्भाव हुआ... तस्या एव ब्रह्मा आजीजनत्. विष्णुरजीजनत्. रूद्रोऽजीजनत् . सर्वे मरूदगण अजीजनत् ... इस तरह उपनिषद यह बताता है कि देवी साक्षात ब्रह्म ही हैं और आगे तीसरे श्लोक में कहा गया है कि शक्ति से ही सबकुछ बना, सभी का सृजन देवी से ही हुआ, मनुष्य तथा समस्त स्थावर – जङ्गम की उत्पत्ति उन्हीं से हुई,
उन्हीं को अपरा शक्ति, शाम्भवी विद्या, कादि विद्या, हादि विद्या, सादि विद्या कहते हैं एवं रहस्यरूपा भी. देवी ही अक्षय तत्व हैं. ब्रह्वृचोपनिषद आगे ‘प्रज्ञानं ब्रह्म’ और ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ को इंगित करते हुए उसी परम तत्व को देवी के रूप में इंगित करता है और कहता है ‘जो वह है, वह ही मैं हूं’ यानी कि वह भी मैं हूं, ब्रह्म भी मैं हूं और ‘आत्मा भी ब्रह्म ही है’ -
इन सभी वाक्यों द्वारा उसी परम विद्या का विवेचन यहां किया गया है, देवी के बारे में पूर्ण सत्य को बताया गया है. ब्रह्वृचोपनिषद हमारे मन को शिक्षित करने की चेष्टा करता है और हमें बताता है कि देवी के सामने जब हम सम्मानपूर्वक मंत्रों को उच्चारते हैं, पूजा-पाठ करते हैं तो उनका वास्तविक मतलब क्या होता है.
इस तरह ब्रह्वृचोपनिषद हमारा परिचय नवरात्रि में देवी की महत्वपूर्ण छवि से कराने के साथ-साथ उनके सही स्वरूप को हमारे मन में प्रतिष्ठित करता है. हम ब्रह्म रूप देवी से परिचित होते हैं, ‘प्रज्ञान ब्रह्मं’ ‘अहम् ब्रह्मास्मि’ की गूंज को अपने अंदर महसूस करते हैं और सही ढंग से की जानेवाली देवी की आराधना को हमारा मन एक तरह से जान लेता है.