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क्यों कहलाते हैं गणेशजी दु:खहर्ता सुखकर्ता?, आध्यात्मिक रहस्य को अच्छी तरह से समझना होगा

By नरेंद्र कौर छाबड़ा | Updated: August 27, 2025 07:00 IST

Ganesh Chaturthi 2025: बड़े सिर में दो बहुत छोटी आंखें होती हैं जो परखने की शक्ति की प्रतीक हैं. हमारे जीवन का जो भी लक्ष्य हो उस पर हमारा ध्यान पूरी तरह केंद्रित हो.

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ठळक मुद्देगणेशजी के बड़े और लंबे कान दर्शाए जाते हैं जो कि आकार में सूप जैसे लगते हैं. जीवन में ग्रहण करें तथा व्यर्थ और नकारात्मक चीजों को बाहर ही रहने दें.गणेशजी की सूंड, जो कि काफी लंबी होती है. इसकी विशेषता है इसका लचीलापन.

Ganesh Chaturthi 2025: श्री गणेशजी को बुद्धि का देवता, हर कार्य में सफलता दिलाने वाले, विघ्न विनाशक देवता के रूप में पूजा जाता है. इसके पीछे बहुत सारे आध्यात्मिक रहस्य समाए हुए हैं. अगर हम इन रहस्यों को अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारे जीवन से भी कई सारे दुख, विघ्न, असफलताएं दूर हो जाएंगी और जीवन में सुख आ जाएगा. इसके लिए हमें गणेशजी के स्वरूप के आध्यात्मिक रहस्य को बहुत अच्छी तरह से समझना होगा. गणेशजी के स्वरूप में सबसे पहले उनका बड़ा सिर दिखाया जाता है जो हाथी का है. हाथी को सभी जानवरों में सबसे ज्यादा विवेकशील, बुद्धिमान प्राणी माना जाता है. इतने बड़े सिर में दो बहुत छोटी आंखें होती हैं जो परखने की शक्ति की प्रतीक हैं. हमारे जीवन का जो भी लक्ष्य हो उस पर हमारा ध्यान पूरी तरह केंद्रित हो.

इसके पश्चात गणेशजी के बड़े और लंबे कान दर्शाए जाते हैं जो कि आकार में सूप जैसे लगते हैं. सूप का काम होता है साफ वस्तु को अपने भीतर रखना और कचरे को बाहर फेंक देना. इसी तरह जीवन में जो भी अच्छा, सकारात्मक हम सुनते हैं , देखते हैं या अनुभव करते हैं उन्हें अपने जीवन में ग्रहण करें तथा व्यर्थ और नकारात्मक चीजों को बाहर ही रहने दें.

फिर आती है गणेशजी की सूंड, जो कि काफी लंबी होती है. इसकी विशेषता है इसका लचीलापन. यह सूंड बड़े-बड़े वृक्षों को भी जड़ से उखाड़ कर फेंक सकती है वहीं दूसरी ओर शिवजी का अभिषेक भी कर सकती है और उन्हें फूल भी चढ़ा सकती है. अर्थात जीवन में संतुलन बनाए रखना है नम्रता और स्वाभिमान का, गंभीरता और रमणीकता का, प्रेम और अनुशासन का.

गणेशजी का बड़ा पेट हमें सिखाता है समाने की शक्ति. हमारे जीवन में कई बार उतार-चढ़ाव आते हैं कुछ लोग हमें पसंद नहीं आते या उनके स्वभाव संस्कार हमसे मेल नहीं खाते लेकिन हमें जिंदगी में आगे बढ़ाने के लिए उनके गुण दोषों के साथ स्वीकार करना है. गणेशजी के चार हाथ दिखाए जाते हैं.

इसमें एक में फरसा होता है जो यह दर्शाता है कि अपने जीवन में जो भी दोष हैं, अवगुण या विकार हैं उन्हें साथ-साथ में ही हमें काटते रहना है. दूसरे हाथ में कमल का फूल जो कि पवित्रता का प्रतीक है. तीसरे हाथ में मोदक अर्थात जीवन में मधुरता, मिठास बनाए रखनी है और चौथे हाथ को आशीर्वाद की मुद्रा में दिखाया जाता है अर्थात सभी के प्रति अपने मन में शुभकामनाएं रखनी हैं. गणेशजी की पूजा के साथ-साथ उनके आध्यात्मिक रहस्य को समझ कर, उनके गुणों को भी हम धारण करते जाएंगे तो जीवन सुखमय बन जाएगा.

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