क्रिसमस के मूल संदेश को भी समझें, राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग
By राजिंदर सिंह महाराज | Published: December 25, 2020 02:27 PM2020-12-25T14:27:55+5:302020-12-25T14:29:43+5:30
क्रिसमस के इस पावन त्योहार पर हम ईसा मसीह की शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालें. यदि हम सही मायनों में ईसा मसीह के कहे पर चलेंगे तो यकीनन सही मायनों में क्रिसमस मनाएंगे.
क्रिसमस का त्योहार विश्वभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ, जिनकी शिक्षाओं के आधार पर ही ईसाई धर्म की शुरुआत हुई. खुशियों के इस त्योहार पर लोग एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं तथा भेंट व शुभकामनाएं देते हैं.
क्रिसमस का त्योहार एक ऐसा अवसर है जब हमें ईसा मसीह (क्राइस्ट) के अर्थ को जानने के लिए विचार करना चाहिए. ईसा मसीह का मूल संदेश प्रेम का संदेश था. प्रभु प्रेम है, हमारी आत्मा उस प्रेम की एक किरण है और प्रेम एक ओर तो प्रभु और मनुष्यों के बीच तथा दूसरी ओर मनुष्यों तथा प्रभु की सृष्टि के बीच एक सूत्र है. प्रेम जीवन और प्रकाश के नियम की पूर्णता है.
आइए, हम सोचें कि क्या हमारे जीवन में यह प्यार झलकता है? क्या हम एक-दूसरे की प्यार से सेवा करते हैं? क्या हम उनके प्रति उदार तथा सहनशील हैं, जिनके विचार हमसे भिन्न होते हैं? क्या हम प्रभु के सभी जीवों से प्यार करते हैं तथा क्या हम सबको अपना समझ कर गले लगाने के लिए तैयार हैं? क्या दलितों के प्रति हम में दया और सहानुभूति है?
क्या हम बीमारों और पीड़ितों के लिए प्रार्थना करते हैं? यदि हम प्यार से नहीं रहते, तो अभी हम प्रभु से काफी दूर हैं तथा धर्म से परे हैं, चाहे हम कितनी ही ऊंची-ऊंची बातें क्यों न करते हों, चाहे हम कितने ही धर्मनिष्ठ हों और चाहे हम अपनी घोषणाओं में कितने ही आडंबरी क्यों न हों. संत के मन में सबके प्रति प्यार होता है.
वे लोगों के रंग, उनके राष्ट्र या उनके धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं बरतते. उनके लिए कोई ऊंचा या नीचा नहीं होता. ईसा ने चाहा था कि उनके शिष्य उनका संदेश सुनें ही नहीं, बल्कि उसके अनुसार जिएं भी. बहुत से लोग सुनते हैं, पर बहुत कम कुछ समझते हैं और इनमें से जो समझते हैं, बहुत ही कम हैं जो इस पर आचरण करते हैं. क्रिसमस के इस पावन त्योहार पर हम ईसा मसीह की शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालें. यदि हम सही मायनों में ईसा मसीह के कहे पर चलेंगे तो यकीनन सही मायनों में क्रिसमस मनाएंगे.