लाइव न्यूज़ :

हरीश गुप्ता का ब्लॉग: कैसे प्रियंका ने पवार को साधने की कोशिश की

By हरीश गुप्ता | Updated: January 7, 2021 12:31 IST

हाल ही में जब राहुल गांधी की अनदेखी कुछ कांग्रेसी नेताओं ने स्वर्गीय अहमद पटेल के आवास पर की तो प्रियंका गांधी ने आगे बढ़कर असंतुष्ट नेताओं से बात की और सोनिया गांधी के साथ बैठक के लिए राजी किया।

Open in App

इस बारे में एक दिलचस्प कहानी है कि क्यों शरद पवार के भीतर अचानक राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं विकसित हुईं. यह राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद थे जिन्होंने पवार को राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका निभाने के लिए फोन किया था. 

पवार इस तरह की भूमिका निभाने में अतीत में कई बार अपनी उंगलियां जला चुके थे और स्वाभाविक तौर पर हिचकिचा रहे थे. कुछ अन्य असंतुष्ट कांग्रेस नेताओं ने भी पवार से बात की. 

एक और घटना भी हुई जिसमें इन असंतुष्ट नेताओं ने सार्वजनिक रूप से राहुल गांधी की उपेक्षा की. जब राहुल श्रद्धांजलि देने के लिए स्वर्गीय अहमद पटेल के आवास पर गए तो आनंद शर्मा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने देखकर भी उनकी अनदेखी की और सामान्य शिष्टाचार भी नहीं दिखाया. 

प्रियंका गांधी को जब इन घटनाक्रमों का पता चला तो उन्होंने आजाद, आनंद शर्मा और अन्य को फोन किया और उन्हें अपने सुजान सिंह पार्क स्थित आवास पर चाय पर व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया. ये नेता नरम पड़ गए क्योंकि प्रियंका ने उन्हें काफी समझाया और सोनिया गांधी के साथ बैठक के लिए राजी किया, जिसमें सभी मुद्दों को हल किए जाने की बात कही गई. 

सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं ने राहुल गांधी से मिलने से इनकार कर दिया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इससे कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि वे अपनी ही राह पर यात्र जारी रखेंगे. प्रियंका ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनके भाई केवल पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं और कोई भी पद नहीं चाहते. 

अब असंतुष्ट नेतागण गांधी परिवार की बात सुनेंगे या फिर यमुना के अशांत जल में दिग्गज मराठा नेता कुछ हलचल मचाएंगे, यह अलग बात है. लेकिन वह दिन प्रियंका गांधी का था.

नीतीश पाल रहे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह कथन किसी के गले नहीं उतर रहा है कि उन्होंने राज्य के शासन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जदयू अध्यक्ष का पद छोड़ा है. 

अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वे एक बार फिर से राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं पाल रहे हैं, क्योंकि वे भाजपा के अधीन रहकर काम नहीं कर सकते और राज्य की राजनीति तक सीमित रहकर थक गए हैं. 

दूसरी ओर, गैर-भाजपा दलों के बीच राष्ट्रीय क्षितिज पर चमकने के लायक क्षमता किसी नेता में नहीं दिख रही है. अब नीतीश अपने लिए एक राष्ट्रीय भूमिका देख रहे हैं क्योंकि कांग्रेस के भीतर शरद पवार को राष्ट्रीय विकल्प के रूप में स्वीकार करने में कुछ रुकावटें हैं. 

एक बात लेकिन साफ है; जदयू के नेताओं ने लव-जिहाद, कृषि कानून आदि सहित कई मुद्दों पर भाजपा की खुले तौर पर आलोचना शुरू कर दी है. नजरें अब नीतीश पर हैं, जिनमें उलटफेर करने की क्षमता है.

परिवार में कशमकश

छह कार्यकाल से गुजरात के सांसद मनसुख वसावा ने भले ही भगवा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की मान-मनुहार के बाद भाजपा और लोकसभा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया हो, लेकिन इसने परिवार में व्याप्त कशमकश को उजागर कर दिया है. 

ये कशमकश कभी-कभार ही सतह पर आती है क्योंकि भाजपा अपने मामलों को छिपाए रखने में कामयाब रही है. लेकिन वसावा ने अपने असंतोष को सार्वजनिक कर दिया क्योंकि वे प्रधानमंत्री कार्यालय को उस विवादित अधिसूचना को वापस लेने के लिए मनाने में विफल रहे जिसमें पर्यावरण मंत्रलय, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रलय (एमओईएफसीसी) द्वारा गुजरात के नर्मदा जिले के 121 गांवों को इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा घोषित किया गया है. 

उन्होंने इस मुद्दे पर आदिवासियों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया था. चूंकि वे मोदी के गृह राज्य से आते हैं, इसलिए कोई भी मंत्री या नेता गुजरात के मामले में हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं कर सका. 

परेशान वसावा ने धमाका करते हुए अपनी लोकसभा सीट छोड़ने की घोषणा कर दी और हलचल मच गई. पता चला है कि पीएम ने उनसे बात की और उन्होंने अगले 36 घंटों के भीतर इस्तीफा वापस ले लिया. लेकिन इस घटना को एक चेतावनी के रूप में लेना चाहिए क्योंकि यह सरकार के कामकाज के तरीके को सामने लाती है जहां पीएमओ के बिना कुछ भी नहीं होता है.

स्वामी के निशाने पर प्रधानमंत्री कार्यालय

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी कई मुद्दों पर सरकार पर तीखे हमले करते रहे हैं. लेकिन उन्होंने कभी पीएमओ पर हमला नहीं किया. हालांकि उन्होंने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार की नियुक्ति के लिए पीएमओ को निशाना बनाया. 

उन्होंने कहा कि डॉ. विजय राघवन ने बगैर मंजूरी के चमगादड़ों पर प्रयोग करने के लिए चाइनीज वुहान बैट वायरस प्रोजेक्ट से चीनी वैज्ञानिकों के एक दल को नागालैंड में बुलाया. जल्द ही निर्देश दे दिए गए कि पार्टी का कोई भी पदाधिकारी उनके बयानों पर प्रतिक्रिया न दे. 

एक अन्य ट्वीट में, स्वामी ने महामारी को देखते हुए इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड को रद्द करने का आग्रह प्रधानमंत्री से किया. कई लोग इनको अब प्रधानमंत्री के ऊपर व्यक्तिगत हमले के रूप में देखते हैं क्योंकि स्वामी का कार्यकाल अप्रैल 2022 तक ही है.

टॅग्स :प्रियंका गांधीशरद पवारराहुल गांधीगुलाम नबी आजादनीतीश कुमारसुब्रमणियन स्वामीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)नरेंद्र मोदीसोनिया गाँधी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा