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जाहिद खान का ब्लॉग: जनसंख्या के अनुपात में कम प्रतिनिधित्व

By जाहिद खान | Updated: March 30, 2022 11:16 IST

 सूबे में मुस्लिमों की आबादी 18।5 के लिहाज से हालांकि, यह नंबर कम ही माने जाएंगे। बीते विधानसभा चुनावों की बात करें तो 17वीं विधानसभा में मुस्लिम विधायकों का प्रतिनिधित्व सिर्फ 24 सीटों पर था। इस चुनाव में जो मुस्लिम विधायक असेंबली में पहुंचे, उनमें सबसे ज्यादा 32 विधायक समाजवादी पार्टी के हैं।

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उत्तर प्रदेश के हाल ही में संपन्न हुए 403 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ 273 सीटों पर आश्चर्यजनक जीत हासिल कर राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। एंटी इनकम्बेंसी को धता बताते हुए उसने अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों को धूल चटा दी। इस चुनाव में अगर मुस्लिमों की नुमाइंदगी की बात करें तो 18वीं विधानसभा में 34 मुस्लिम विधायक निर्वाचित हुए हैं। पिछली बार के मुकाबले इस दफा उनकी तादाद 10 ज्यादा है। प्रतिशत के लिहाज से देखें, तो मुस्लिम विधायक कुल 403 विधायकों में 8।43 फीसदी हैं।

 सूबे में मुस्लिमों की आबादी 18।5 के लिहाज से हालांकि, यह नंबर कम ही माने जाएंगे। बीते विधानसभा चुनावों की बात करें तो 17वीं विधानसभा में मुस्लिम विधायकों का प्रतिनिधित्व सिर्फ 24 सीटों पर था। इस चुनाव में जो मुस्लिम विधायक असेंबली में पहुंचे, उनमें सबसे ज्यादा 32 विधायक समाजवादी पार्टी के हैं। वहीं दो राष्ट्रीय लोकदल के हैं। ताज्जुब की बात यह है कि इस बार सपा ने 64 मुस्लिमों को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया था। जिसमें पचास फीसदी उम्मीदवारों ने फतह हासिल की। कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, एआईएमआईएम, पीस पार्टी और राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल ने अपनी-अपनी पार्टियों से मुस्लिम प्रत्याशी तो बड़ी तादाद में उतारे, पर मतदाताओं ने उन्हें बुरी तरह से ठुकरा दिया। इस मर्तबा बसपा ने 88 मुस्लिम उम्मीदवारों को, तो कांग्रेस ने 75 मुस्लिमों को अपनी पार्टी से टिकट दिया था। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ‘आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन’(एआईएमआईएम) भी पूरे दम-खम के साथ चुनाव लड़ी। पार्टी ने 60 से अधिक सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन चुनाव के ऐन वक्त मुसलमानों ने सोशलिस्ट एलायंस पर ही अपना यकीन जताया।

प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में 143 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनमें से 73 सीटों पर मुस्लिम ही हार-जीत तय करते हैं। इन सीटों पर मुस्लिम आबादी 35 से 50 फीसदी के बीच है। सूबे की करीब तीन दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार अपने दम पर जीत दर्ज कर सकते हैं। जबकि करीब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां अल्पसंख्यक मतदाता चुनावी नतीजों को खासा प्रभावित करते हैं। इनमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश की हैं। सूबे के अभी तक के विधानसभा चुनावों का इतिहास देखें, तो साल 2012 के चुनावों में ही मुस्लिम विधायकों की नुमाइंदगी उनकी जनसंख्या अनुपात के करीब थी।

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