लाइव न्यूज़ :

गलत कामों को कदापि नहीं मिलना चाहिए संरक्षण

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: March 6, 2024 11:47 IST

रिश्वत लेने के मामलों में सांसदों और विधायकों को उनके विशेषाधिकार के तहत छूट देने वाले अपने ही आदेश को पलट कर सुप्रीम कोर्ट ने निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।

Open in App
ठळक मुद्देरिश्वत मामलों में सांसदों और विधायकों को मिले विशेषाधिकार छूट का खत्म होना बेहद महत्वपूर्ण हैसुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रिश्वत लेने से सार्वजनिक जीवन में शुचिता नष्ट हो जाती हैविधायिका का सदस्य सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वत लेकर बच नहीं सकता है

रिश्वत लेने के मामलों में सांसदों और विधायकों को उनके विशेषाधिकार के तहत छूट देने वाले अपने ही आदेश को पलट कर सुप्रीम कोर्ट ने निश्चित रूप से एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अदालत ने बिल्कुल सही कहा कि रिश्वत लेने से सार्वजनिक जीवन में शुचिता नष्ट हो जाती है।

उल्लेखनीय है कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1998 में ‘पी.वी. नरसिंह राव बनाम सीबीआई’ मामले में दिए गए अपने बहुमत के फैसले में कहा था कि सांसदों को संविधान के अनुच्छेद 105(2) और अनुच्छेद 194(2) के तहत सदन के अंदर दिए गए किसी भी भाषण और वोट के लिए घूस के आपराधिक मुकदमे से छूट प्राप्त है।

अब सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सोमवार को कहा कि 1998 के बहुमत के फैसले का ‘सार्वजनिक हित, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और संसदीय लोकतंत्र पर व्यापक प्रभाव’ पड़ा है। विधायिका का कोई भी सदस्य सदन में वोट डालने या भाषण देने के लिए रिश्वतखोरी के आरोप में अभियोग से अनुच्छेद 105 और 194 के तहत छूट पाने के विशेषाधिकार का दावा नहीं कर सकता।

सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां ‘शानदार’ करार दिया है, वहीं कांग्रेस ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कानून को दुरुस्त करना जरूरी था और यह पहले ही किया जाना चाहिए था। जैसा कि सर्वोच्च अदालत ने भी कहा कि रिश्वत लेना ही अपने आप में अपराध होता है, चाहे वह जिस उद्देश्य से लिया गया हो। फिर किसी अपराध को संसदीय विशेषाधिकारों के तहत संरक्षण प्राप्त होने का दावा कैसे किया जा सकता है?

संविधान निर्माताओं ने शायद कभी यह सोचा भी नहीं होगा कि जनप्रतिनिधियों को अपने कर्तव्यों के प्रभावी निर्वहन के लिए दिए जाने वाले विशेषाधिकारों का सहारा रिश्वत लेने जैसे आपराधिक उद्देश्यों के लिए भी लेने की कोशिश की जाएगी!

संसदीय विशेषाधिकार का मूल भाव संसद की गरिमा, स्वतंत्रता और स्वायत्तता की सुरक्षा करना है, लेकिन संसद सदस्यों को यह अधिकार उनके नागरिक अधिकारों से मुक्त नहीं करता है। जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से देश में साफ-सुथरी राजनीति सुनिश्चित होगी तथा व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा होगा।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टसंसदMLAकांग्रेसनरेंद्र मोदीNarendra Modi
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारत अधिक खबरें

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?