लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: कश्मीर में देर से बर्फबारी के क्या हैं मायने?

By पंकज चतुर्वेदी | Updated: February 28, 2024 10:13 IST

यह बात गौर करने की है कि बीते कुछ सालों में कश्मीर  लगातार असामान्य और चरम मौसम की चपेट में है। अभी 21 फरवरी को गुलमार्ग में बर्फीले तूफान का आना भी चौंकाने वाला है। जान लें कि देर से हुई बर्फबारी से राहत तो है लेकिन इससे उपजे खतरे भी हैं।

Open in App
ठळक मुद्देमौसम विभाग की मानें तो  फरवरी के आखिरी दिनों में फिर से जम कर बर्फबारी होगी23 फरवरी की रात गुलमर्ग में शून्य से 10.4 और पहलगाम  में 8.6 डिग्री नीचे तापमान वाली रहीअभी 21 फरवरी को गुलमार्ग में बर्फीले तूफान का आना भी चौंकाने वाला है

इस साल का जनवरी महीना कश्मीर के लिए अभी तक का सबसे गरम रहा। वहीं फरवरी जाते-जाते इस राज्य को बर्फ की घनी चादर में लपेट चुकी है। मौसम विभाग की मानें तो  फरवरी के आखिरी दिनों में फिर से जम कर बर्फबारी होगी। 23 फरवरी की रात गुलमर्ग में शून्य से 10.4 और पहलगाम  में 8.6 डिग्री नीचे तापमान वाली रही। धरती के स्वर्ग कहलाने वाले कश्मीर में क्या देर से हुई बर्फबारी महज एक असामान्य घटना है या फिर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का संकेत ?

यह बात गौर करने की है कि बीते कुछ सालों में कश्मीर लगातार असामान्य और चरम मौसम की चपेट में है। अभी 21 फरवरी को गुलमार्ग में बर्फीले तूफान का आना भी चौंकाने वाला है। जान लें कि देर से हुई बर्फबारी से राहत तो है लेकिन इससे उपजे खतरे भी हैं।

कश्मीर घाटी को सुंदर, हराभरा, जलनिधियों से परिपूर्ण और वहां के बाशिंदों के लिए जीवकोपार्जन का मूल आधार है–जाड़े का मौसम। यहां जाड़े के कुल 70 दिन गिने जाते हैं। 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक 'चिल्ला–ए–कलां' यानी शून्य से कई डिग्री नीचे वाली ठंड। इस बार यह  45 दिनों का  समय बिल्कुल शून्य बर्फबारी का रहा। उसके बाद बीस दिन का 'चिल्ला-ए–खुर्द' अर्थात छोटा जाड़ा, यह होता है-31 जनवरी से 20 फरवरी। इस दौर में बर्फ शुरू हुई लेकिन उतनी नहीं जितनी अपेक्षित है। और उसके बाद 20 फरवरी से 02 मार्च  तक बच्चा जाड़ा  यानी 'चिल्ला ए बच्चा'। इस बार बर्फबारी इस समय में हो रही है।

सत्तर दिन की बर्फबारी 15 दिन में सिमटने से दिसंबर और जनवरी में हुई लगभग 80-90 प्रतिशत कम बर्फबारी  की भरपाई तो हो नहीं सकती। उसके बाद गर्मी शुरू हो जाने से साफ जाहिर है कि जो थोड़ी सी बर्फ पहाड़ों पर आई है, वह जल्दी ही पिघल जाएगी। अर्थात आने वाले दिनों में ग्लेशियर पर निर्भर नदियों में अचानक बाढ़ आ सकती है और फिर अप्रैल में गर्मी आते-आते वहां पानी का अकाल हो सकता है।

भारत में हिमालयी क्षेत्र का फैलाव कई राज्यों व  केंद्र शासित प्रदेशों (अर्थात जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल) में है, जो लगभग 2500 किमी है। भारत के मुकुट कहे जाने वाले हिमाच्छादित पर्वतमाला की गोदी में कोई पांच करोड़ लोग सदियों से रह रहे हैं। चूंकि यह क्षेत्र अधिकांश भारत के लिए पानी उपलब्ध करवाने वाली नदियों का उद्गम है, साथ ही यहां के ग्लेशियर  धरती के गरम होने को नियंत्रित करते हैं, सो  जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से यह सबसे अधिक संवेदनशील है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरJammuSrinagar
Open in App

संबंधित खबरें

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

पूजा पाठVaishno Devi Temple: मां वैष्णो देवी की यात्रा में गिरावट, पिछले साल के मुकाबले श्रद्धालुओं की संख्या घटी

भारतदिल्ली लाल किला कार विस्फोटः जम्मू-कश्मीर और लखनऊ में कुल 8 जगहों पर NIA छापेमारी, ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल पर नजर, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम में एक्शन

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई