Vice President polls 2025: उपराष्ट्रपति चुनाव में राजग उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत में कभी कोई संदेह था ही नहीं, पर उम्मीद से अधिक मिले मत और भी बहुत कुछ कहते हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों के सदस्यों वाला निर्वाचक मंडल मतदान करता है. इसलिए चुनाव से पहले ही समीकरण समझ पाना मुश्किल नहीं होता. फिर भी चुनाव परिणाम की घोषणा तक दिलचस्पी बनी रहती है तो इसलिए क्योंकि उपराष्ट्रपति चुनाव में पार्टी व्हिप लागू नहीं होता और अंतरात्मा की आवाज पर क्रॉस वोटिंग की संभावनाएं जगाई जाती हैं. इस बार भी ऐसा हुआ.
अंतरात्मा की आवाज का नारा तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने दिया, लेकिन उपलब्ध समर्थन से भी 25 मत ज्यादा राजग उम्मीदवार राधाकृष्णन को मिल गए. निर्वाचक मंडल में राजग के पास 427 वोट थे, लेकिन राधाकृष्णन को 452 वोट मिले. उधर ‘इंडिया’ गठबंधन के पास निर्वाचक मंडल में 315 वोट थे, लेकिन उसके उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट ही मिले.
बेशक रेड्डी को मिले 15 वोट अमान्य भी घोषित हुए, लेकिन अंतरात्मा की आवाज पर, राजग उम्मीदवार को अतिरिक्त वोट मिले, जो विपक्षी खेमे में दरार का संकेत है. राधाकृष्णन को मिले अतिरिक्त 25 वोटों तथा सुदर्शन रेड्डी को मिले वोटों में से भी 15 वोट अमान्य हो जाने पर टीका-टिप्पणी का सिलसिला अभी चलेगा, लेकिन यह तो मानना ही पड़ेगा कि सत्तारूढ़ राजग ने बेहतर प्रबंधन का प्रमाण दिया,
जबकि इस चुनाव को वैचारिक लड़ाई बतानेवाला विपक्ष उसमें सेंध लगाना तो दूर, अपने गठबंधन को भी एकजुट नहीं रख पाया. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी ने पहले ही राधाकृष्णन के समर्थन का ऐलान कर दिया था, जिसके 11 सांसद हैं. उन्हें भी जोड़ लें तो राधाकृष्णन को उम्मीद से 14 वोट ज्यादा मिले.
इससे विपक्षी खेमे में परस्पर अविश्वास बढ़ेगा और दूरियां भी. बेशक संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार चयन से दोनों ही गठबंधनों ने राजनीतिक बिसात बिछाने की कवायद की थी. दक्षिण भारत में अपनी सत्ता का एकमात्र दुर्ग कर्नाटक भी कांग्रेस के हाथों गंवा चुकी भाजपा ने तमिलनाडु के ओबीसी समुदाय से आनेवाले, संघ के स्वयंसेवक राधाकृष्णन पर दांव लगाया,
जबकि विपक्ष ने आंध्र प्रदेश से अलग हो कर पृथक राज्य बने तेलंगाना के किसान परिवार में जन्मे सुदर्शन रेड्डी पर. राधाकृष्णन झारखंड के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए, जबकि रेड्डी सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं. हमारे राजनेता हार में जीत देखने-दिखाने की कला में माहिर होते हैं.
सो, आश्चर्य नहीं कि 152 वोट से अपने उम्मीदवार की हार के बावजूद ‘इंडिया’ ब्लॉक इसे अपनी नैतिक जीत बता रहा है. बेशक विपक्ष का वोट शेयर पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले 26 से बढ़ कर 40 प्रतिशत हो गया है, पर 2022 और 2025 के राजनीतिक समीकरणों की तुलना ही अतार्किक है.
तब विपक्ष बिखरा था और कांग्रेस ने अन्य बड़े दलों से सलाह किए बिना ही अपनी नेत्री मारग्रेट अल्वा को उम्मीदवार बना दिया था. हां, यह माना जा सकता है कि इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव 2022 की तरह एकतरफा नहीं रहा, जब भाजपा उम्मीदवार के रूप में जगदीप धनखड़ ने 725 वैध वोटों में से 528 हासिल किए थे.
स्वाभाविक ही जीत के बाद विपक्ष ने भी देश के 15 वें उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन को बधाई दी है, लेकिन राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ के साथ लंबी चली कटुता बताती है कि उच्च सदन का संचालन उनके लिए आसान नहीं रहनेवाला है.