वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: जी-20 में सफल कूटनीति
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 3, 2018 07:31 AM2018-12-03T07:31:35+5:302018-12-03T07:31:35+5:30
इन सब राष्ट्रों का लक्ष्य यह होता है कि वे एक जगह बैठकर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय, व्यापारिक, आर्थिक और कानूनी समस्याओं पर विचार करें और उन्हें हल करने के रास्ते निकालें।
अर्जेटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की पहली सफलता तो यह है कि उन्होंने इस 20 राष्ट्रों के संगठन का 2022 का सम्मेलन भारत में करवाने का वायदा ले लिया।
2022 में भारत की आजादी का वह 75 वां साल होगा। इस 20 सदस्यीय संगठन में दुनिया के सारे शक्तिशाली राष्ट्र सक्रिय हैं और उनके अलावा भारत, जापान, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भी हैं, जो निकट भविष्य में महाशक्ति बन सकते हैं।
इन सब राष्ट्रों का लक्ष्य यह होता है कि वे एक जगह बैठकर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय, व्यापारिक, आर्थिक और कानूनी समस्याओं पर विचार करें और उन्हें हल करने के रास्ते निकालें। ये 19 राष्ट्र और 20वां यूरोपीय संघ मिलकर दुनिया का 85 प्रतिशत व्यापार करते हैं और 80 प्रतिशत सकल उत्पाद के ये मालिक हैं।
इस सम्मेलन में मोदी के भाषणों का जोर इसी बात पर रहा कि नीरव मोदी, चोकसी, माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सारे सदस्य राष्ट्र एक-दूसरे का सक्रिय सहयेाग करें। मोदी ने अपना नौ-सूत्नी कार्यक्रम भी पेश किया। दुनिया के जो राष्ट्र ऐसे अपराधियों को अपने यहां शरण देते हैं, पता नहीं उन पर मोदी का कितना असर होगा। लेकिन असर होने का माहौल तो जरूर बनेगा।
मोदी का दूसरा बड़ा हमला आतंकवाद पर था, खासकर उस आतंकवाद पर जो दूसरे देशों को निर्यात किया जाता है। मोदी ने आतंकवाद को प्रोत्साहित करने और समर्थन करने वाली शक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की है।
इस तरह की अपीलें भारत के पिछले प्रधानमंत्नी भी कर चुके हैं लेकिन आजकल उनका असर होता इसलिए दिख रहा है कि पश्चिम के शक्तिशाली राष्ट्रों के अंदर भी इधर आतंकवादी घटनाएं जोरों से होने लगी हैं। भारत के इन दो प्रमुख लक्ष्यों को साधने के अलावा मोदी ने प्रमुख राष्ट्रों के नेताओं से भी विशेष भेंट की। यदि विदेश मंत्नी सुषमा स्वराज को मोदी साथ ले जाते तो सोने में सुहागा हो जाता।