लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग : निरंकुशता किसी की भी ठीक नहीं

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 31, 2022 1:18 PM

सुप्रीम कोर्ट को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं।

Open in App
ठळक मुद्देमहाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव ने भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया थाअपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं

सर्वोच्च न्यायालय को विधानसभा के एक अध्यक्ष के आदेश को निरस्त करना पड़ा है। यह घटना दुखद है लेकिन यदि ऐसा नहीं होता तो भारत की विधानपालिकाओं पर यह आरोप चस्पा हो जाता कि वे निरंकुश होती जा रही हैं। 5 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भास्कर जाधव के साथ कुछ विधायकों ने काफी कहासुनी कर दी। उनका क्रोधित होना स्वाभाविक था। 

उन्होंने इन विधायकों को पूरे एक साल के लिए मुअत्तिल कर दिया। ये 12 विधायक भाजपा के थे। भाजपा महाराष्ट्र में विपक्षी दल है। शिवसेना गठबंधन वहां सत्तारूढ़ है। अध्यक्ष के गुस्से पर सदन ने भी ठप्पा लगा दिया। अब विधायक क्या करते? किसके पास जाएं? राज्यपाल भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकते। मुख्यमंत्री तो अध्यक्ष के साथ हैं ही। आखिरकार उन्होंने देश की सबसे बड़ी अदालत के दरवाजे खटखटाए।

अच्छा हुआ कि अदालत ने अपना फैसला जल्दी ही दे दिया, इन मुअत्तिल विधायकों को साल भर इंतजार नहीं करना पड़ा। अदालत ने महाराष्ट्र विधानसभा के सदन में उनकी उपस्थिति को बरकरार कर दिया। अपना फैसला देते वक्त अदालत ने जो तर्क दिए हैं, वे भारतीय लोकतंत्न को बल प्रदान करने वाले हैं। वे जनता के प्रति विधानपालिका की जवाबदेही को वजनदार बनाते हैं। जजों ने कहा कि विधायकों की एक साल की मुअत्तिली उनके निष्कासन से भी ज्यादा बुरी है, क्योंकि उन्हें निकाले जाने पर नए चुनाव होते और उनकी जगह दूसरे जनप्रतिनिधि विधानसभा में जनता की आवाज बुलंद करते लेकिन यह मुअत्तिली तो जनता के प्रतिनिधित्व का अपमान है। 

इसके अलावा यदि विधायकों ने कोई अनुचित व्यवहार किया है तो उन्हें उस दिन या उस सत्न से मुअत्तिल करने का नियम जरूर है लेकिन उन्हें साल भर के लिए बाहर करने के पीछे सत्तारूढ़ दल की मंशा यह भी हो सकती है कि विरोधी पक्ष को अत्यंत अल्पसंख्यक बनाकर मनमाने कानून पास करवा लें। जहां महाराष्ट्र की तरह गठबंधन सरकार हो, वहां तो ऐसी तिकड़म की संभावना ज्यादा होती है। इस घटना में अध्यक्ष, सत्तारूढ़ और विरोधी दलों-सबके सबक लिए समुचित सबक है।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टBJPMLAMaharashtra Assembly
Open in App

संबंधित खबरें

भारतAmit Shah On Rahul Gandhi: 'राहुल गांधी थाईलैंड छुट्टी पर जाते हैं, मोदी सीमा पर दिवाली मनाते हैं', मधुबनी में बोले अमित शाह

भारतदिल्ली स्थित भाजपा कार्यालय में लगी आग, घटना का वीडियो आया सामने

भारतSaran Seat 2024: राजीव प्रताप रूडी के सामने लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य, 2014-2019 में बीजेपी ने दी मात, 2024 में प्रतिष्ठा दांव पर, जानें क्या कहते हैं लोग...

भारतSwati Maliwal Assault Case: स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट मामले में परिवार ने तोड़ी चुप्पी, 'आप' सांसद की मां ने कही ये बात

भारतLok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चार चरणों में 66.95 प्रतिशत मतदान, निर्वाचन आयोग ने कहा-45.1 करोड़ लोगों ने वोट डाला, देखें फेज दर फेज आंकड़े

भारत अधिक खबरें

भारत'अरविंद केजरीवाल के सहयोगी ने मुझे थप्पड़ मारा, लात मारी': स्वाति मालीवाल ने मामले में चुप्पी तोड़ते हुए लगाए आरोप

भारतGhatkopar hoarding collapse: मुंबई पुलिस ने बिलबोर्ड मालिक भावेश भिंडे को किया गिरफ्तार

भारतMaharashtra LS Polls 2024: नासिक में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सामान की जांच की

भारतSwati Maliwal assault case: मारपीट की घटना को लेकर स्वाति मालीवाल ने पुलिस में की शिकायत, रिकॉर्ड कराए अपने बयान

भारतBihar Politics News: जिस तरह सूरज का उगना तय वैसे ही नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय..., भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया