वेदप्रताप वैदिक का कॉलम: कश्मीर पर विपक्ष का खोखलापन

By वेद प्रताप वैदिक | Published: August 7, 2019 06:46 AM2019-08-07T06:46:08+5:302019-08-07T06:46:08+5:30

गुलाम नबी आजाद  ने कहा कि भाजपा सरकार ने भारत माता के सिर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं. कश्मीर को भारत का मस्तक माना जाता है यह ठीक है, लेकिन लद्दाख को उससे अलग करना उसके टुकड़े-टुकड़े करना कैसे हो गया? 

Vedpratap Vaidik column: Opposition's hollowness on Kashmir | वेदप्रताप वैदिक का कॉलम: कश्मीर पर विपक्ष का खोखलापन

वेदप्रताप वैदिक का कॉलम: कश्मीर पर विपक्ष का खोखलापन

जम्मू-कश्मीर के सवाल पर दो दिनों में संसद में विपक्षी नेताओं ने जो तर्क दिए, वे लचर और बेतुके थे. इनके हल्केपन का सबसे बड़ा प्रमाण तो यही था कि जब ये तर्क दिए जा रहे थे और तर्क करनेवाले भाषण दे रहे थे, तब उनकी अपनी पार्टी के लोग भी ताली तक नहीं बजा रहे थे. अपने मुरझाए हुए चेहरों को लेकर वे दाएं-बाएं देख रहे थे. गुलाम नबी आजाद  ने कहा कि भाजपा सरकार ने भारत माता के सिर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं. कश्मीर को भारत का मस्तक माना जाता है यह ठीक है, लेकिन लद्दाख को उससे अलग करना उसके टुकड़े-टुकड़े करना कैसे हो गया? 

यह ठीक है कि भाजपा नेता धारा 370 और 35ए को खत्म करने के पहले कुछ कश्मीरी नेताओं को साथ ले लेते तो बेहतर होता या कुछ कश्मीरी जनमत को प्रभावित कर लेते तो आदर्श स्थिति होती, लेकिन क्या यह व्यावहारिक था? पाकिस्तानी दुष्प्रचार, पैसे और हथियारों के आगे सीना तानने या मुंह खोलने की हिम्मत किस कश्मीरी नेता में थी? कांग्रेसी नेताओं का यह तर्क भी बड़ा खोखला है कि भाजपा सरकार ने कश्मीर के साथ बहुत धोखाधड़ी की है. नेहरू के वादे को तोड़ दिया है.

ऐसा लगता है कि हमारे कांग्रेसी मित्न सिर्फ विरोध के लिए विरोध कर रहे हैं. क्या तब वे जनमत-संग्रह के लिए तैयार थे? अपने 50-55 साल के शासन में उन्होंने यह क्यों नहीं करवाया? सिर्फ 370 और 35ए का राग अलापते रहे. अब उनके सारे विरोध की तान इसी बात पर टूट रही है कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र-प्रशासित क्षेत्न क्यों घोषित किया गया है? गृह मंत्नी अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर के हालात ठीक रहे तो उसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जा सकता है. 

कश्मीर के सवाल पर पूरा पाकिस्तान एक आवाज में भारत की निंदा कर रहा है लेकिन भारत को देखिए कि इसी मुद्दे पर हमारा विपक्ष कैसा व्यवहार कर रहा है. कांग्रेस जैसी महान पार्टी ने कश्मीर के पूर्ण विलय का विरोध करके खुद का नुकसान कर लिया है. अटलजी ने 1971 में जैसे बांग्लादेश पर इंदिरा गांधी का अभिनंदन किया था, वैसे ही कांग्रेस भी कश्मीर पर मोदी और शाह को शाबाशी दे सकती थी.

Web Title: Vedpratap Vaidik column: Opposition's hollowness on Kashmir

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